LAC पर तिब्बत की ठंड नहीं झेल पाए चीनी सैनिक, रोबोट सेना करेगी निगरानी

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(www.arya-tv.com) भारतीय सेना के जवानों का सामना लद्दाख में भयानक ठंड से कांपते चीनी सैनिकों से नहीं होगा। इसके बजाय उनके सामने चीन ने अपनी रोबो आर्मी और अनमैन्ड व्हीकल्स (मानवरहित वाहन) खड़े कर दिए हैं। ड्रैगन ने यह काम तिब्बत की कड़कड़ाती ठंड नहीं झेल पा रहे अपने सैनिकों को बचाने के लिए किया है।

लड़ाई के लिए पूरी तरह तैयार नहीं

 चीन ने तिब्बत और लद्दाख बॉर्डर पर दर्जनों ऑटोमैटिक और रोबोट की तरह इस्तेमाल होने वाली गाड़ियों को तैनात किया है। हाल ही में भारतीय सेना से हुई झड़प में चीनी सिपाहियों को ठंड की वजह से काफी ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद यह बात सामने आई थी कि चीनी सेना बर्फीले इलाकों की लड़ाई के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है।

 38 शार्प क्लॉ गाड़ियां लद्दाख बॉर्डर पर

मीडिया रिपोर्ट्स ने बताया- चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) तिब्बत में ऑटोमेटिक चलने वाली 88 शार्प क्लॉ व्हीकल्स को तैनात किया है। इसमें भी 38 शार्प क्लॉ गाड़ियां लद्दाख बॉर्डर पर तैनात की गई हैं। इन गाड़ियों को चीन की हथियार निर्माता कंपनी NORINCO ने तैयार किया है। इनका इस्तेमाल इलाके की निगरानी के साथ हथियार और जरूरी सामान की आपूर्ति में किया जाएगा।

50 किमी तक हमला  कर सकती हैं ऑटोमेटिक Mule-200 व्हीकल्स

चीन ने तिब्बत में ऑटोमेटिक Mule-200 अनमैन्ड व्हीकल्स भी तैनात किए हैं। ये गाड़ियां मुश्किल इलाकों में निगरानी के साथ-साथ 50 किमी तक हमला भी कर सकती हैं। इसके अलावा इन पर एक बार में 200 किलोग्राम से ज्यादा गोला-बारूद और हथियारों का ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है। वायरलेस से भी कंट्रोल होने वाली ये गाड़ियां रोबोट की तरह लड़ाई भी लड़ सकती हैं। फिलहाल तिब्बत में 120 Mule-200 हैं, इसमें से भी ज्यादातर भारतीय सीमा के पास तैनात हैं।

एम्बुलेंस की तरह भी इस्तेमाल हो सकती हैं VP-22 गाड़ियां 
PLA के पास सैनिकों को ले जाने के लिए VP-22 माइन रेसिस्टेंट एम्बुश प्रोटेक्टेड व्हीकल्स भी हैं। इनका इस्तेमाल एम्बुलेंस की तरह भी किया जा सकता है। इन गाडियों से एक बार में 15 लोगों को ट्रांसफर कर सकते हैं। इस वक्त तिब्बत में 77 VP-22 हैं, जिसमें से 47 के करीब भारत सीमा के नजदीक तैनात है।

 200 लिंक्स ऑल-टेरेन वाहन भी मौजूद

तिब्बत में 200 लिंक्स ऑल-टेरेन वाहन भी मौजूद हैं। इनके जरिए एक बार में 15 लोगों का ट्रांसफर किया जा सकता है। इसके साथ ही ये भारी हथियारों और एयर डिफेंस हथियारों के लिए लिए प्लेटफॉर्म के तौर पर भी काम आ सकती हैं। फिलहाल 150 लिंक्स ऑल-टेरेन लद्दाख के पास हैं।

 पिछले साल मई से जारी है तनाव
भारत और चीने के बीच लद्दाख में पिछली साल मई से तनाव चल रहा है। इसी दौरान गलवान में भारत और चीनी सेना के बीच झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। चीन के भी 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे, लेकिन उसने कभी भी उनकी सही संख्या नहीं बताई। इसके अलावा भी इस इलाके में भारत और चीन के सैनिक आपस में उलझते रहे हैं। चीनी सैनिकों को ठंडे इलाकों में लड़ाई का अनुभव नहीं है, जिस वजह से उन्हें भारतीय सैनिकों के हाथों मुंह की खानी पड़ती है।