पिछले वर्ष आठ नवंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इंदिरागांधी प्रतिष्ठान से जिन डबल डेकर इलेक्ट्रिक बसों को झंडी दिखाकर रवाना किया था, वह अभी तक सड़कों पर नहीं उतर पाई हैं। एक वर्ष बाद भी न ही बसों के रूट तय हो पाए हैं और न ही चार्जिंग स्टेशन तैयार हो पाए हैं। बिना तैयारी के 15 करोड़ रुपये कीमत की बसों को लाकर धूल फांकने के लिए बाराबंकी डिपो में खड़ा कर दिया गया।
रोडवेज अधिकारियों के अनुसार एक डबल डेकर इलेक्ट्रिक बस की कीमत लगभग 1.87 करोड़ रुपये है। वर्तमान में ऐसी 8 बसें डिपो में खड़ी हैं, जिनकी कुल लागत लगभग 15 करोड़ से अधिक बताई जा रही है। देखरेख के अभाव में इन बसों के इलेक्ट्रिक पार्ट्स, बैटरी सिस्टम और एसी यूनिट्स खराब होने का खतरा बढ़ता जा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार निष्क्रिय रहने से बैटरी पैक और मोटर सिस्टम को गंभीर नुकसान हो सकता है, जिससे बसों की कार्यक्षमता प्रभावित होगी। क्षेत्रीय प्रबंधक आरके त्रिपाठी का कहना है कि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनीकी मंजूरी मिलने के बाद ही बसों का ट्रायल रन शुरू किया जाएगा। अभी चार्जिंग स्टेशन बनने में वक्त लगेगा। इसके बाद ही संचालन की प्रक्रिया रफ्तार पकड़ेगी।
यात्रियों की उम्मीदें अधर में
लखनऊवासियों विशेषकर युवाओं में डबल डेकर बस में सफर करने को लेकर उत्साह था। इन बसों के संचालन से रोजाना हजारों यात्रियों को सुविधा मिलने और परिवहन निगम को लाखों रुपये की दैनिक आय की संभावना जताई गई थी लेकिन बिना किसी जमीन पर ठोस तैयारी के डबल डेकर लाकर खड़ी कर दी गईं ।
