चंद्रयान-3 मिशन: विक्रम और प्रज्ञान ने चांद पर 14 दिन क्‍या किया? चार बड़ी खोज जानिए

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(www.arya-tv.com) भारत का चंद्रयान-3 फिलहाल नींद के आगोश में है। उसका लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ अब स्लीप मोड में हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने उन्‍हें 22 सितंबर को उठने का कमांड दिया है। तब चांद पर रात ढल चुकी होगी, एक नया दिन होगा। नींद में जाने से पहले के 14 दिनों में, चंद्रयान-3 के विक्रम और प्रज्ञान ने अपने हर टास्‍क को बखूबी अंजाम दिया।

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद विक्रम और प्रज्ञान ने हमें चांद के बारे में नई जानकारियां दी हैं। वैज्ञानिक अभी चंद्रयान-3 मिशन के डेटा का विस्तृत अध्ययन करने में लगे हैं। हालांकि, चार खोज ऐसी हैं जिनमें वैज्ञानिकों की गहरी दिलचस्पी है। जानिए तो जरा, चंद्रयान-3 ने चांद पर क्‍या-क्‍या खोजा है।

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर आयन और इलेक्ट्रॉन

  • विक्रम लैंडर ने चांद के आयनमंडल का घनत्व और तापमान मापा। ISRO के अनुसार, दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रमा की सतह को घेरने वाले इलेक्ट्रिकली चार्ज्‍ड प्लाज्मा की 100 किलोमीटर मोटी परत में आयनों और इलेक्ट्रॉनों का ‘अपेक्षाकृत विरल’ मिश्रण है।
  • शुरुआती माप से अंदाजा मिलता है कि हर क्यूबिक मीटर में लगभग 5 मिलियन से 30 मिलियन इलेक्ट्रॉन हो सकते हैं। ISRO के वैज्ञानिक ने ‘नेचर’ पत्रिका को बताया कि जैसे-जैसे चांद पर दिन आगे बढ़ता है, घनत्व अलग-अलग होने लगता है। पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में एक समान परत का चरम घनत्व दस लाख इलेक्ट्रॉन प्रति घन सेंटीमीटर है।
  • अगर इंसान चंद्रमा पर बसता है तो आयनमंडल का घनत्व संचार और नेविगेशन प्रणालियों को प्रभावित करेगा। इलेक्ट्रॉन घनत्व जितना अधिक होगा, रेडियो संकेतों को आयनमंडल के माध्यम से यात्रा करने में उतना ही अधिक समय लगेगा। वैज्ञानिक कहते हैं, विरल प्लाज्मा का मतलब है कि संभावित देरी ‘न्यूनतम’ होगी। दूसरे शब्दों में, ट्रांसमिशन के लिए कोई समस्या पैदा नहीं होगी।​

चांद पर गहराई के साथ तेजी से बदलता है तापमान

चंद्रयान-3 के लैंडर में 10 सेंसरों से लैस तापमान जांचने वाला उपकरण लगा है। यह चंद्रमा की सतह से 10 सेंटीमीटर नीचे तक पहुंचने में सक्षम है। इसके शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है कि दिन के दौरान, 8 सेमी नीचे का तापमान सतह की तुलना में लगभग 60 डिग्री सेल्सियस कम होता है।

चांद पर भूकंप!

विक्रम लैंडर पर लगे सिस्मोग्राफ ने चांद की सतह पर तरह-तरह के कंपन दर्ज किए। हालांकि, एक कंपन पर वैज्ञानिकों की खास नजर है। यह बेहद छोटा सीस्मिक इवेंट था जो 4 सेकंड में खत्म हो गया। ISRO के वैज्ञानिकों को लगता है कि यह छोटा चंद्रकंप हो सकता है या फिर किसी छोटे उल्का पिंड का प्रभाव।

चांद पर सल्फर की मौजूदगी कन्फर्म

प्रज्ञान रोवर ने टेस्टिंग में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सल्फर की मौजूदगी कन्फर्म की है। ISRO के अनुसार, एलुमिनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम और आयरन भी मिला है। सल्‍फर पिघले हुए लावा का एक प्रमुख तत्‍व है और रिसर्चर्स को लगता है कि चांद की सतह ऐसे ही पिघले गर्म लावा की मोटी चादर से बनी है।