गैंगस्टर विकास दुबे के खजांची जय वाजपेयी समेत सभी दोषियों को 10 साल की कैद; 7 बरी

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(www.arya-tv.com) 2 जुलाई 2020…कानपुर के बिकरू गांव की खौफनाक रात शायद ही कोई भूल पाए। गैंगस्टर विकास दुबे को अरेस्ट करने गई पुलिस टीम पर गोलियों की बौछार हुई। डिप्टी एसपी समेत 8 पुलिसकर्मियों की नृशंस हत्या कर दी गई। इस घटना के 3 साल बाद मंगलवार को कानपुर देहात की गैंगस्टर कोर्ट ने पहली बार सजा सुनाई।

न्यायाधीश दुर्गेश पांडेय ने विकास दुबे के खजांची जय वाजपेयी समेत 23 आरोपियों को 10-10 साल की सजा और 50-50 हजार जुर्माना लगाया है। जबकि 7 आरोपियों को दोषमुक्त होने पर बरी कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि पुलिस की लचर पैरवी से गुड्‌ड त्रिवे

दी समेत 7 आरोपियों को कोई सजा नहीं मिली।

कोर्ट के फैसले के बाद दोष मुक्त किए गए 7 आरोपियों के परिजनों ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। वहीं अन्य 23 आरोपियों के परिजनों ने हाईकोर्ट में आदेश के खिलाफ अपील करने की भी बात कही है।

बिकरू कांड में शामिल 45 आरोपियों को जेल भेजा गया था। इसमें से 5 को पहले ही जमानत मिल चुकी है। मामले में विकास दुबे और उसके गैंग की अब तक 72 करोड़ की संपत्ति जब्त हो चुकी है। इसके साथ ही 7 पर NSA और 45 पर गैंगस्टर की कार्रवाई हो चुकी है।

79 मुकदमे हुए थे दर्ज, 63 में चार्जशीट दाखिल
इस हत्याकांड ने न सिर्फ प्रदेश बल्कि देश को हिला दिया। DGP से लेकर कानपुर में तैनात एसएसपी दिनेश कुमार और IG मोहित अग्रवाल एक्शन में आए। विकास दुबे के गैंग के एक के बाद एक 6 बदमाशों को एनकाउंटर में मार गिराया।

सुप्रीम कोर्ट से खुशी को मिली थी जमानत
बिकरू कांड में विकास दुबे के भतीजे अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे का भी हाथ था। खुशी को पुलिस ने जेल भेज दिया था। जनवरी 2023 में खुशी दुबे को जमानत मिल गई थी। वरिष्ठ अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने खुशी दुबे को पहले नाबालिग घोषित कराया था। खुशी को जमानत दिलाने के लिए कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के बड़े अधिवक्ता विवेक तन्खा हायर कराया था। विवेक तन्खा ने सुप्रीम कोर्ट में अच्छी पैरवी के बाद खुशी को जमानत दिलाई थी।