(www.arya-tv.com) एक महिला मायागंज अस्पताल में प्रसव पीड़ा से कराह रही थी। उस महिला का पति 4 सितंबर को अपनी पत्नी से मिलने के लिए घर से अस्पताल की ओर रवाना होता है। बाद में पता चलाता है कि उस युवक का शव एक झाड़ी में फेंका हुआ है। मृतक के सिर पर गहरे चोट के निशान हैं। गोराडीह थाना क्षेत्र के चेमनिया के पास युवक का शव पड़ा था। उसका शव पुलिस ने बरामद किया। मृतक की पहचान सबौर थाना क्षेत्र के शंकरपुर गांव के चंद्रशेखर मंडल उर्फ चंदन के रूप में हुई थी।
उसके भाई के द्वारा बयान पर अज्ञात लोगों पर केस दर्ज कराया गया था। वहीं पुलिस के लिए भी ये एक तरह से ब्लाइंड केस था। लिहाजा भागलपुर के वरीय पुलिस अधीक्षक आनंद कुमार ने इसके खुलासे के लिए SP और दो डीएसपी की एक टीम बनाई। इस टीम ने जब खुलासा किया तो मामला जान एकबारगी पुलिस भी हिल गई।
ऐसे पहुंची पुलिस हत्यारे ससुर तक
ये टीम तकनीकी साक्ष्य, परिस्थिति जनक साक्ष्य और वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर अनुसंधान कर रही थी। इसी बीच पता चला कि इस कांड में एक सफेद स्कॉर्पियो गाड़ी का इस्तेमाल किया गया। ये गाड़ी कहलगांव स्थित हादीज के गैरेज में सफाई कराने के लिए भेजी गई थी। लेकिन पुलिस ने मौके पर पहुंच कर स्कॉर्पियों को अपने कब्जे में ले लिया।
जब पुलिस टीम ने स्कॉर्पियों की जांच की तो उसके अंदर सीट कवर, सीट के अलावा कई जगहों पर काफी खून पाया गया। हैरान करने वाली बात ये कि स्कॉर्पियों चंद्रशेखर से ससुर प्रदीप कुमार पंकज की थी। गैरेज के कर्मी ने बताया गया कि प्रदीप कुमार पंकज पहले में भी उनके गैरेज में गाड़ी सर्विसिंग के लिए आते-जाते रहते थे। उस दिन भी वो स्कॉर्पियों लेकर आए।
लेकिन उन्होंने बताया कि वो गाड़ी में डिलिवरी के लिए एक महिला को लेकर जा रहे थे और ये खून उसी का है। उन्होंने गाड़ी को साफ करने की बात कही और चले गए। लेकिन पुलिस ने शक के आधार पर ससुर प्रदीप को हिरासत में ले लिया।
‘मिट्टी’ के लिए ससुर ने किया दामाद का मर्डर
पुलिस ने जब ससुर से कड़ाई से पूछताछ की तो वो प्रदीप टूट गया और उसने सब कुछ कबूल किया। प्रदीप के मुताबिक ‘जब से मेरी बेटी की शादी मृतक चंद्रशेखर मंडल से हुई, तब से ही वो लगातार मुझसे नाजायज रूप से पैसे की मांग किया करते थे। पैसे नहीं देने पर वो बेटी और परिवार के बाकी लोगों के साथ मारपीट भी किया करती थी।
यहां तक कि मेरी जमीन पर भी अपना दावा करते थे कि उस जमीन की मिट्टी की ब्रिकी हम ही करेंगे। इसी से अजीज आकर मैने उसकी हत्या की साजिश रची और उसे अंजाम तक पहुंचा दिया। बेटी की डिलीवरी के बाद हर शाम को दामाद खाना पहुंचाने के लिए मायागंज अस्पताल जाया करता था। इलाज के दरमियान भी मेरा दामाद मुझे पैसों की मांग कर रहा था।
ऐसे में 4 सितम्बर की शाम में सात बजे मैंने दामाद चंद्रशेखर को कॉल कर बोला कि दामादजी आज हमलोग गाड़ी से चलेंगे। आप का पैसा भी देंगे और खाना भी पहुंचा देंगे। इसके बाद मैं उसे गाड़ी पर ले गया और गाड़ी के अंदर ही पिस्टल से गोली मार कर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद उसकी लाश को झाड़ी में फेंक दिया।’