(www.arya-tv.com) चांद की जमी पर तिरंगा फहराने के बाद भारत का स्पेस रथ अब सूरज की ओर बढ़ रहा है। चंद्रयान 3 की सफलता ने अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को उत्साह से भर दिया है। अब सितंबर के लास्ट में आदित्य L1 मिशन को श्रीहरिकोटा से सूरज की दिशा में लॉन्च किया जा सकता है। यह भारत का पहला सबसे लंबी दूरी (15 लाख किलोमीटर) वाला मिशन होगा।
सूरज से निकलने वाले किन-किन रेडिएशन, सौर प्रवात और लाइट्स का डेटा कलेक्शन करना है? धरती पर सूरज के किन किरणों का डायरेक्ट इफेक्ट होता है? उन रेडिएशन का क्या नफा-नुकसान होता है। ऐसे सवालों की एक लंबी लिस्ट ISRO को भेजी गई है।
इन आधारों पर आदित्य L1 डेटा कलेक्ट करके बंगलुरु के पास स्थित ‘डीप स्पेस नेटवर्क’ को भेजेगा। BHU के फिजिक्स डिपार्टमेंट के खगोल वैज्ञानिक डॉ. कुंवर अलकेंद्र प्रताप सिंह ISRO की ‘साइंस डेफिनेशन टीम’ का हिस्सा हैं।
आदित्य L1 पृथ्वी से 15 लाख किमी से रखेगा सूर्य पर निगाह
डॉ. अलकेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि सूर्य के सतह से लेकर वातावरण तक कई तरह के भयानक विस्फोट होते रहते हैं। इनका काफी गहरा संबंध धरती के लोगों और टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर पर पड़ता है। कनाडा और यूरोप के कई पोलर इलाकों में फ्लाइट से लेकर इलेक्ट्रिसिटी और गैस सप्लाई ठप हो जाती है।
धरती से सूरज की दूरी 1.50 करोड़ किमी है। आदित्य L1 पृथ्वी से 15 लाख किमी दूर तक ही जाएगा। यह वहीं से सूर्य की हलचलों और हरकतों पर निगरानी रखेगा। उन गैसों और रेडिएशन की जांच करेगा, जो कि धरती पर इंसानों के लिए खतरा है। दोनों के बीच के संबंधों को समझकर मानव विकास को बेहतर बना सकते हैं।
दुनिया के 22 सोलर मिशन से यूनिक है भारत का L1मिशन
दुनिया भर से अब तक 22 सोलर मिशन हो चुके हैं। इसमें अमेरिका, जर्मनी, यूरोपीय यूनियन और जापान जैसे देशों के नाम शामिल हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि भारत का सोलर मिशन इन सभी से यूनिक है। बाकी के देशों ने रेडियो वेव्स और X-Ray किरणों की जांच की क्षमता वाले सैटेलाइट लॉन्च किया है।
जबकि आदित्य L1 खासतौर पर अल्ट्रा वायलेट किरणों, X-Ray उत्सर्जन और प्लाज्मा तीनों की स्टडी करेगा। इनका इफेक्ट धरती पर पड़ता है। इनमें काफी ज्यादा रेडिएशन निकलता है। सूरज से निकलने वाले UV किरणों पर अभी बहुत ज्यादा स्टडी नहीं हुई है। इसके साथ ही सोलर विंड, प्लाज्मा प्रवाह, गैस क्लाउड मोशन, विस्फोट आदि से उठी ऊंची-ऊंची लपटों पर रिसर्च करेगा।