बीबीएयू के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने ‘रिवर योग’ अभियान में किया प्रतिभाग

Lucknow
  • स्वच्छता और योग के माध्यम से दिया सामाजिक चेतना का संदेश

बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने गौ घाट पर आयोजित ‘रिवर योग’ अभियान में भाग लेकर स्वच्छता, स्वास्थ्य और पर्यावरणीय जागरूकता के प्रति समाज को प्रेरित किया। यह 60 दिवसीय अभियान दिनांक 21अप्रैल – 21जून 2025 तक आयोजित किया गया है जिसका मुख्य उद्देश्य योग और घाटों की सफाई के माध्यम से जनजागरूकता फैलाना है। इस ‘रिवर योग’ अभियान का संचालन 137 कंपोज़िट इकोलॉजिकल टास्क फोर्स बटालियन (टेरिटोरियल आर्मी), 39 गोरखा राइफल्स की गोमती टास्क फोर्स द्वारा किया जा रहा है। इस अभियान को लखनऊ नगर निगम, बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय और राज्य स्वच्छ गंगा मिशन–उत्तर प्रदेश (एसएमसीजी–यूपी) का सक्रिय सहयोग प्राप्त है। कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक दिन गौ घाट पर योगाभ्यास के उपरांत घाट पर सफाई अभियान का आयोजन किया जा रहा है। विशेष रूप से 27 मई से 6 जून 2025 तक यह गतिविधि गौ घाट पर केंद्रित की गई है, जिसमें नागरिकों, छात्रों, एनएसएस स्वयंसेवकों और प्रशासनिक प्रतिनिधियों की भागीदारी देखी जा रही है। इस अवसर पर बीबीएयू कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल के साथ पर्यावरण विज्ञान विभाग, बीबीएयू के विभागाध्यक्ष व पर्यावरणविद् प्रो. वेंकटेश दत्ता तथा 137 कंपोज़िट इकोलॉजिकल टास्क फोर्स बटालियन की ओर से मेजर कंवरदीप सिंह नागी भी उपस्थित रहे।

बीबीएयू कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि यह अभियान एक आदर्श उदाहरण है जिससे स्वास्थ्य, समाज और प्रकृति के बीच संतुलन स्थापित किया जा सकता है। बीबीएयू सदैव अपने छात्रों को सामाजिक उत्तरदायित्व और पर्यावरणीय संवेदनशीलता के लिए प्रेरित करता है। ‘रिवर योग’ न केवल एक शारीरिक साधना है, बल्कि यह मानसिक और सामाजिक जागरूकता का माध्यम भी है।

प्रो. वेंकटेश दत्ता ने इस अभियान की सराहना करते हुए कहा यह अभियान एक नदी, पर्यावरण और शरीर की जीवंत प्रयोगशाला है जहाँ छात्र और नागरिक स्वास्थ्य, सांस्कृतिक धरोहर और पर्यावरण के बीच संबंध को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव कर रहे हैं। गोमती नदी केवल जलस्रोत नहीं, बल्कि हमारी साझा विरासत और जीवनरेखा है। नदी को जीवित शरीर समझ कर उनका संरक्षण और संवर्धन जरूरी है।
मेजर कंवरदीप सिंह नागी ने अभियान को एक जनांदोलन बताते हुए कहा यह केवल योग या स्वच्छता का कार्यक्रम नहीं है, यह एक जनांदोलन है, जो नागरिकों को नदियों की स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर रहा है। हर लखनऊवासी से हमारा आग्रह है कि वे इस प्रयास में सहभागी बनें।

कार्यक्रम के दौरान एनएसएस स्वयंसेवकों, विश्वविद्यालय के छात्रों, स्थानीय नागरिकों, नगर निगम अधिकारियों, एसएमसीजी–यूपी के प्रतिनिधियों और सेना के जवानों ने एकजुट होकर योगाभ्यास किया और फिर घाट की सफाई में हिस्सा लिया। सभी ने इस बात पर जोर दिया कि जब समाज, शिक्षा और रक्षा बल मिलकर काम करते हैं, तो न केवल नदियां स्वच्छ होती हैं, बल्कि समाज की सोच और विचारधारा भी निर्मल होती है।

‘रिवर योग’ अभियान अब एक शारीरिक अभ्यास से कहीं बढ़कर सामाजिक पुनर्जागरण का प्रतीक बनता जा रहा है। इस प्रकार के प्रयास पर्यावरणीय संरक्षण, सार्वजनिक सहभागिता और सांस्कृतिक चेतना के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय का यह योगदान न केवल शैक्षणिक क्षेत्र में, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्र में भी अनुकरणीय है।