आगरा किला पर 400 कलाकारों और असली घोड़ों-हाथी के साथ बाबासाहेब पुरंदरे ने किया था नाटक, जानिए ​क्या है इनकी खासियत

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आगरा (www.arya-tv.com) ऐसा नाटक जिसके मंचन के लिए महाराष्ट्र से 400 कलाकार आए। ऐसा नाटक, जिसमें असली घोड़े और हाथी इस्तेमाल किए गए। ऐसा नाटक, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आए। इस नाटक का आगरा में मंचन करने वाले जाने माने इतिहासकार और पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित बलवंत मोरेश्वर पुरंदरे यानी बाबासाहेब पुरंदरे का सोमवार को पुणे के एक अस्पताल में निधन हो गया। बाबासाहेब पुरंदरे ने 2001 में आगरा में दो दिन तक जाणता राजा नाटक का मंचन किया था।

बाबासाहब पुरंदरे का जन्म 29 जुलाई 1922 को पुणे में हुआ था। उन्होंने अपने पूरे जीवन में लोगों को शिवाजी के जीवन से परिचित कराया। आगरा किले के सामने स्वरूपचंद गोयल व सत्यनाराण गोयल ने शिवाजी की प्रतिमा स्थापित की थी।

प्रतिमा स्थापित होने के बाद सात दिन तक कार्यक्रम हुए थे। मेहताब बाग में हेमामालिनी की नृत्य नाटिका, आगरा कालेज मैदान में प्रदर्शनी, आगरा किले के अंदर कवि सम्मेलन हुआ था। इस श्रंख्ला में 18 व 19 फरवरी को जाणता राजा का मंचन हुआ था। रामलीला मैदान में हुए दो दिन तक हुए नाटक में हर रोज पांच हजार दर्शक पहुंचते थे।

असली घोड़ों और हाथी पर आती सेना, युद्ध, शिवाजी का जीवन आदि को देख सभी रोमांचित हुए थे।समाजसेवी विजय गोयल बताते हैं कि इन कार्यक्रमों में विलासराव देशमुख व लाल कृष्ण अाडवाणी भी आए थे।अदभुत था यह नाटक, एेसा नाटक न उससे पहले कभी हुआ था और न बाद में हुआ।