कोविड.19 से मुकाबला करने के लिए आयुर्वेद आहार नियम द्वारा बनाए अपनी प्रतिरक्षा को मजबूत करने की पूरी जानकारी महर्षि आयुर्वेद के अध्यक्ष आनंद श्रीवास्तव द्वारा आर्य प्रवाह टीवी के माध्यम से दी जा रही है
(www.arya-tv.com)आयुर्वेद विश्व की सबसे पुरानी समग्र चिकित्सा प्रणालियों में से एक होने के नाते एक विश्वास पर आधारित है कि स्वास्थ्य और कल्याण परिसंचारी(वात), चयापचयी (पित्त) और पदार्थ (कफ) आयामों के नाजुक संतुलन और मस्तिष्क, शरीर और आत्मा के सही समन्वय पर निर्भर है। इसका उद्देश्य केवल बीमारी से लड़ना नहीं बल्कि अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है। और हम दैखते हैं कि यही प्रक्रिया कोविड.19 से संक्रमित मामलों में भी देखी जा रही है कि लोग दवाईयों से नहीं अपनी मजबूत प्रतिरक्षा के कारण ठीक हो रहे हैं। तो जानिए आयुर्वेदिक आहार नियम अपनाकर आप अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को कैसे मजबूत बना सकते हैं और जानलेवा कोरोना वायरस के संक्रमण से बच सकते हैं।
कोरोना वायरस का संक्रमण और हमारा प्रतिरक्षा तंत्र
आयुर्वेद में शक्तिशाली प्रतिरक्षा या शक्तिशाली प्रतिरोध को ओजस (सुरक्षा) कहते हैं, इसके अनुसार जो जितना स्वस्थ होता है उसका इम्यून या प्रतिरक्षा तंत्र उतना ही शक्तिशाली होता है। ऐसे लोगों को कोई भी बाहरी आक्रमण जैसे कोरोना वायरस या किसी भी तरह का कोई रोगअपनी चपेट में नहीं ले सकता। अगरए ऐसा व्यक्ति किसी संक्रमण का शिकार हो भी जाता है तो यह उसके जीवन के लिए घातक नहीं होगा, जैसा कि कोविड.19 महामारी के दौरान देखा जा रहा है, जिसमें लाखों लोग ठीक भी हो रहे हैं। अतः शक्ति शाली प्रतिरक्षा तंत्र हमारे शरीर के ठीक तरह से काम करने और अधिकतर बीमारियों से लड़ने की चाबी है।
प्रतिरक्षा तंत्र का आधार है पाचन तंत्र
आयुर्वेद के अनुसार अच्छे स्वास्थ्य की उत्पत्ति हमारे पाचनतंत्र से होती है। बेहतर भोजन और उसका ठीक तरह से पाचन स्वस्थ और शक्तिशाली प्रतिरक्षा तंत्र का आधार है। और लगभग 80 प्रतिशत प्रतिरक्षा तंत्र तो हमारी आहारनाल के आसपास स्थिंत होता है।आयुर्वेदिक आहार नियम का पालन करने से अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति संभव है। एक अच्छाय आयुर्वेदिक आहार उसे माना जाता है जो व्यक्ति विशेष की शरीर की प्रकृति पर आधारित हो। ऐसा भोजन न केवल पोषण देता है बल्क् बीमारियों से भी दूर रखता है। इसमें किसी व्यलक्ति विशेष के दोषों के अनुसार कुछ विशेष भोज्ये पदार्थों को शामिल नहीं किया जाता है इस प्रकार से व्यक्ति के स्वाभाव और उसके शरीर में उर्जा के स्तर को बनाए रखा जाता है। यह जानने के अलावा कि क्या खाना चाहिए, यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि कितना खाना चाहिए, कब खाना चाहिए और कैसे खाना चाहिए। आयुर्वेद उचित तर्क के साथ बहुत ही वैज्ञानिक और व्यवस्थित तरीके से इनकी व्याख्या करता है। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि कोई भी जो कुछ भी खाता हैए वह उसके तंत्र में ठीक तरह से पचना और आत्मसात होना चाहिए। ताकि शरीर के उतकों का संतुलित रूप से उत्पादन हो सके, जो शरीर के रखरखाव सर्वोत्तम प्रदर्शन और स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है।
कोविड.19 के दौरान आहार संबंधी टिप्स
एक स्वस्थ आहार नियम का पालन करें। जो भोजन के सही विकल्पों से मिलकर बना हो, यह हमारी प्रतिरक्षा में सुधार करेगा। इसके विपरीत, गलत आदतें और भोजन के विकल्प, हमारी प्रतिरक्षा को कमज़ोर करते हैं, हमें वायरस के संक्रमण और रोगों का आसान शिकार बना देते हैं।
- अपने शरीर के प्रकार के आधार पर काली मिर्च, धनिया के बीज, लहसुन, अदरक आदि को शामिल करें।
- अपनी प्रतिरक्षा को बनाए रखने के लिए आहार में संतरा, ब्रोकोली, अंकुरित अनाजए नींबू और स्ट्रॉबेरी लें।
- ठंडेए बहुत मीठे और तले हुए खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें।
- चिल्ड वॉटर या ऐसे किसी भी पेय पदार्थ के सेवन से बचें।
- ताजे पके हुए खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दें।
- फ्रोजन या बासी खाने से बचें।
आयुर्वेदिक आहार नियम
आयुर्वेद के अनुसार, स्वाथ्स्य, आहार, आदर्श स्वास्थ का मंत्र है। इसके अतिरिक्त, यह सही प्रकार के भोजन और सही समय पर भोजन करने पर बल देता है। यह दिन को छह भागों में विभाजित करता है जैसा कि दोष की प्रबलता के अनुसार नीचे दिया गया है।
कफ समय – हल्का नाश्ता (सुबह- 6 से 10)
- दूध, फलों और भीगे हुए मेवों आदि, सुबह लगभग आठ बजे लेना चाहिए।
पित्त समय – दोपहर का खाना (सुबह 10 से दोपहर 2 बजे तक)
- यह दिन का सबसे भारी आहार है, इसमें अपने शरीर के प्रकार के आधार पर खाद्य पदार्थों का चयन करना चाहिए, इसे लगभग 12 बजे लें।
वात समय – शाम का नाश्ता (दोपहर 2 बजे से 6 बजे के बीच)
- शाम 5 बजे के आसपास हल्का नाश्ता होना चाहिए।
कफ समय – रात्रि भोज (शाम 6 और 10 बजे के बीच)
- इसमें रात आठ बजे के पहले हल्का भोजन लें।
फिर से पित्त समय (रात 10 बजे और दोपहर 2 बजे के बीच)
- यह सोने का समय होता है, इस दौरान किसी को भी कुछ भी खाने से बचना चाहिए, यह समय शरीर पूरे दिन लिए गए भोजन को पचाने और चयापचय के लिए उपयोग करता है।
वात समय के दौरान (सुबह 2 बजे और 6 बजे के बीच)
- किसी को भी सुबह छह बजे के पहले जाग जाना चाहिए ताकि पूरे दिन ताज़गी बनी रहे।
महर्षि आयुर्वेद के अध्यक्ष, श्री आनंद श्रीवास्तव से बातचीत पर आधारित