उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में स्थित एक मकबरे पर सोमवार को हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों के सदस्यों ने घुसकर हंगामा किया और धार्मिक नारेबाजी की. हंगामा करने वालों का दावा था कि कई सदी पुराना नवाब अबू समद का मकबरा जहां स्थित है, वहां पहले कभी मंदिर हुआ करता था.
पुलिस ने इस मामले में बजरंग दल और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई नेताओं समेत 10 नामजद लोगों समेत 150 से ज्यादा लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
घटना का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग पुलिस और सुरक्षा बलों की मौजूदगी में मकबरे के अंदर घुसकर नारेबाजी, हंगामा, तोड़फोड़ करते और भगवा झंडा फहराते नजर आ रहे हैं.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल ने जिला प्रशासन को चेतावनी दी थी कि वह हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं के साथ 11 अगस्त को उस जगह पर पूजा-अर्चना करेंगे. उन्होंने दावा किया था कि सदियों पुराना यह ढांचा एक मंदिर है जिसमें एक ‘शिवलिंग’ है.
फतेहपुर के पुलिस अधीक्षक अनूप कुमार सिंह ने कहा कि वह घटना की जांच कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘इस बात की जाँच की जा रही है कि कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद भीड़ मकबरे में कैसे घुस गई और कानून को अपने हाथ में कैसे ले लिया. दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा.’
कई थानों की पुलिस तैनात कर दी गयी
अधिकारियों ने बताया कि इलाके में तनाव के चलते कोतवाली, राधानगर, मालवान और हुसैनगंज सहित कई थानों की पुलिस तैनात कर दी गयी है.
पाल ने धमकी दी थी कि अगर प्रशासन ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो वे विरोध प्रदर्शन शुरू कर देंगे. उन्होंने दावा किया था कि यह जगह ‘ठाकुर जी’ का मंदिर था, जिसे ‘आक्रांताओं’ ने मकबरे में बदल दिया था.
उन्होंने दावा किया था कि ढाँचे के अंदर त्रिशूल और कमल जैसे प्रतीक हिंदू मंदिर के प्रतीक हैं और वे किसी मकबरे में कभी नहीं पाए जाते.
पुलिस अधीक्षक ने पहले कहा था कि प्रशासन मामले को गंभीरता से ले रहा है और मकबरा स्थल और उसके आसपास पर्याप्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है.
उन्होंने कहा था, ‘हम शांति सुनिश्चित करने के लिए कड़ी निगरानी रख रहे हैं. किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाज़त नहीं दी जाएगी.’ उन्होंने कहा था कि जिलाधिकारी रवींद्र सिंह भी स्थिति पर नज़र रखे हुए हैं.
इस बीच, स्थानीय हिंदू धार्मिक नेताओं और सामुदायिक समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था ‘मठ-मंदिर संरक्षण संघर्ष समिति’ ने जिलाधिकारी सिंह को एक ज्ञापन सौंपकर हस्तक्षेप की मांग की है. समिति ने आरोप लगाया कि ‘‘मंदिर’’ बेहद जर्जर स्थिति में है, जिससे श्रद्धालुओं की सुरक्षा और शहर की सांस्कृतिक विरासत दोनों को खतरा है.
दूसरी ओर, राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने भी जिलाधिकारी को एक पत्र भेजकर प्रशासन से मकबरे के ऐतिहासिक स्वरूप से छेड़छाड़ न करने का आग्रह किया है.
मकबरे के मुतवल्ली मोहम्मद नफीस ने बताया कि यह इमारत लगभग 500 साल पुरानी है और इसे बादशाह अकबर के पौत्र ने बनवाया था जिसमें अबू मोहम्मद और अबू समद की कब्रें हैं.
इस बीच, समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा को घेरने की कोशिश की है. उन्होंने मीडिया को बयान देने के बाद ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘फतेहपुर में घटी घटना, तेजी से खत्म होती भाजपा की निशानी है. जब-जब भाजपा और उनके संगी साथियों की पोल खुलने लगती है, तब-तब सौहार्द बिगाड़ने की साजिश की जाती है. जनता अब इस भाजपाई चाल को समझ गयी है. अब ऐसी करतूतों में जनता न तो अटकेगी और न ही इन घटनाओं से भटकेगी.’
यादव ने कहा, ‘देखना ये है कि इस घटना के दोषियों की शिनाख़्त लखनऊ के ड्रोन करेंगे या दिल्लीवालों के ड्रोन. सामाजिक एकता ज़िंदाबाद!’
उधर, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने विपक्षी दलों से इस मुद्दे पर राजनीतिक ‘रोटियां’ सेंकने से बचने की अपील की है. पाठक ने एक बयान में कहा कि सरकार ने फतेहपुर की घटना को गंभीरता से लिया है. उन्होंने कहा, ‘दोनों पक्षों को तथ्यों से अवगत कराकर स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया है. साथ ही 10 थानों की पुलिस, पीएसी और प्रशासन की टीमों की तैनाती करके शांति और एकता सुनिश्चित की गई है.’
उन्होंने दावा किया कि फतेहपुर में स्थिति पूरी तरह सामान्य है और पुराने ढांचे पर दावा करने वाले लोग शांतिपूर्वक तितर-बितर हो गए हैं. उन्होंने विपक्षी दलों से राजनीतिक रोटियाँ सेंकने से बचने की अपील की.
उपमुख्यमंत्री ने दावा किया कि भाजपा कभी भी नफरत फैलाने की राजनीति नहीं करती और उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की दृष्टि ‘‘किसी का तुष्टिकरण नहीं, सबका संतोष’’ है.
उन्होंने दावा किया कि भाजपा सरकार के साढ़े आठ साल के कार्यकाल में दंगों पर पूरी तरह से नियंत्रण पा लिया गया है, जिसे समाजवादी पार्टी बर्दाश्त नहीं कर सकती.
पाठक ने कहा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनके सहयोगी बार-बार ऐसे बयान देते हैं, जिनसे सामाजिक ताने-बाने के टूटने का खतरा है. उन्होंने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए हिंदू-मुस्लिम विवादों को हवा दे रही है और अखिलेश यादव जैसे नेता अशांति पैदा करने के लिए अफवाहें फैलाते हैं.
10 नामजद समेत 150 से ज़्यादा लोगों के खिलाफ प्राथमिकी
पुलिस ने शांति भंग करने और विवादित स्थल में जबरन घुसकर तोड़फोड़ करने के आरोप में 10 नामजद समेत 150 से ज़्यादा लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मुकदमे में नामजद किये गये लोगों की पहचान धर्मेंद्र सिंह (बजरंग दल नेता), अभिषेक शुक्ला (भाजपा नेता), अजय सिंह (जिला पंचायत सदस्य), देवनाथ धाकड़ (भाजपा नेता), विनय तिवारी (नगर पालिका सभासद), पुष्पराज पटेल, रितिक पाल और प्रसून तिवारी (भाजपा) और पप्पू चौहान (समाजवादी पार्टी नेता) के रूप में की गई है.
पुलिस अधीक्षक अनूप कुमार सिंह ने बताया कि दोषियों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज और ड्रोन निगरानी का इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आरोपियों को पकड़ने और कानून हाथ में लेने वालों की पहचान करने के लिए विशेष पुलिस दल गठित किए गए हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमें कई वीडियो मिले हैं जिनमें कई लोग भगवा झंडे लिए स्थल के आसपास जय श्री राम के नारे लगाते दिखाई दे रहे हैं. हालांकि किसी के पास हथियार नहीं थे.’
सिंह ने स्वीकार किया कि व्यापक सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद कुछ लोग सुरक्षा घेरा तोड़कर परिसर में घुस गए और तोड़फोड़ की. कुछ लोग बांस के डंडे लिए हुए थे और पत्थर फेंक रहे थे, लेकिन हमलावरों के पास हथियार होने का दावा गलत है.
पुलिस अधीक्षक ने कहा, ‘स्थिति अब शांतिपूर्ण है. लोग घर लौट गए हैं और मौके पर केवल पुलिस ही मौजूद है. प्रांतीय सशस्त्र बल (पीएसी) की तीन कंपनियां और स्थानीय पुलिस मौके पर तैनात हैं.’
सिंह ने कहा, ‘मेरी जनता से अपील है कि वे घर के अंदर रहें और पुलिस को अपना काम करने दें.’