2024 की बिसात:अखिलेश के ‘भगवा मंत्र’ का गांव-गांव में होगा प्रचार

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(www.arya-tv.com)  यूपी की राजनीति में धर्म और आस्था से बड़ा मुद्दा जातीय माना जाता है। 2024 की तैयारी में जुटी सपा ने BJP की राम मंदिर पॉलिटिक्स से पहले सामाजिक न्याय-जातीय जनगणना जैसे मुद्दे पर गांव-गांव चर्चा करना शुरू कर दिया है।

बीजेपी के कट्टर हिंदुत्व और धर्म की राजनीति को रोकने के लिए अखिलेश यादव ने सामाजिक न्याय की बिसात बिछाने के लिए गोकर्णनाथ और नैमिष धाम जैसे धार्मिक केंद्र को चुना है। इससे बीजेपी की चिंता बढ़ गई हैं। तो वहीं सपा ने पहली बार कैडर मजबूत करने पर पूरा जोर लगाया है।

फिलहाल आरएसएस क्या है? इसकी विचारधारा क्या है? कैसे समाज को डिवाइड कर रही है… इन सब को लेकर सपा ने एक बुकलेट छपवाया है। अखिलेश यादव चरखा दांव चलते हुए नए समीकरण की समाजवादी प्लानिंग को तैयार करने पर पूरा जोर लगा रहे हैं।

राजनीतिक पंडित मान रहे हैं कि सपा के बूथ और सेक्टर की ट्रेनिंग अभियान के पीछे सबसे बड़ा प्लान आरएसएस और उसकी विचारधारा को गांव-गांव तक जाकर एक्सपोज करना। नैमिष धाम में अखिलेश यादव ने साफ संदेश देते हुए कहा है कि हमें सबसे पहले सामाजिक न्याय के साथ ही जातीय जनगणना कराने की लड़ाई लड़नी होगी। आरएसएस की विचार धारा को समझना होगा।

फिलहाल सपा कार्यकर्ताओं को सेक्टर और बूथ लेवल पर ट्रेनिंग दी गई है। कार्यकर्ताओं को कहा गया है कि वह गांव-गांव जाकर आरएसएस की विचारधारा के बारे में बताएं। यह भी बताएं कि वह धर्म और जाति के आधार पर प्रदेश और देश को कैसे बांट रही है।

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि मूल रूप से सपा के बुकलेट में आरएसएस की विचारधारा क्या है, किस आधार पर काम कर रही है, किस तरीके से बांटने की राजनीति हो रही है। इन सब मुद्दों को कार्यकर्ताओं को समझाया जा रहा है। समाजवादी आरएसएस को स्वर्ण वादी घोषित करने की तैयारी में हैं।

पहली बार कैडर मजबूत करने के लिए यूथ पर फोकस 

समाजवादी पार्टी के शिविर आयोजन में पहली बार कैडर को मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है। सपा ट्रेंनिंग सेशन में सबसे ज्यादा यूथ और 40 साल से कम उम्र के कार्यकर्ताओं को प्रतिनिधि बनाने और सेक्टर-बूथ की जिम्मेदारी सौंपने पर काम कर रही है।

सपा लोकसभा चुनाव की तैयारी में सबसे ज्यादा यूथ को जोड़ने और जिम्मेदारी देने पर फोकस कर रही है। हर बूथ पर 10 नए कैडर बनाने के लिए काम करने की बात सामने आई है। मुलायम सिंह के बाद अखिलेश यादव कैडर मजबूत करने के लिए प्रदेश के 75 जिले के 80 लोकसभा सीटों पर शिविर का आयोजन किया जा रहा है।

शिविर के आयोजन में सपा की कोशिश यह है कि बौद्धिक और वैचारिक मामले में कार्यकर्ताओं का स्तर बढ़ाया जाए। जिससे वह आरएसएस, बीजेपी और कट्टर हिंदुत्ववादी संगठनों को बेबाकी से जवाब दे सकें।