भाजपा का नया दांव… जितना विरोध, उतना ही फायदा

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(www.arya-tv.com) 3 तलाक कानून बनाकर भाजपा मुस्लिम महिलाओं के वोट बैंक में सेंधमारी कर चुकी है। अब 4 शादियां, संपत्ति-विरासत और गोद लेने जैसे पारिवारिक कानून लाने की तैयारी है। इसका विरोध तो तय है, लेकिन भाजपा चाहती भी यही है। राजनीति के जानकारों की मानें तो मुस्लिम समुदाय में जितना विरोध होगा, अवध और पूर्वांचल में उतना ही वोटों का ध्रुवीकरण होगा। अगर ऐसा हुआ तो भाजपा पश्चिमी यूपी में जो भी थोड़ी सीटों के नुक्सान की आशंका है, उसकी भरवाई आसानी से पूर्वांचल से कर लेगी।

मुद्दे की शुरुआत यूपी से क्यों नहीं

दरअसल, समान नागरिक संहिता पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है, ‘अगर भाजपा सत्ता में आती है, तो समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए कमेटी गठित कर दी जाएगी।’ अब जरा सोचिए कि ऐसे मुद्दे की शुरुआत भाजपा ने यूपी से क्यों नहीं की? आसान सा जवाब है कि अगर पहले दो चरणों में इस मुद्दे को यूपी में हवा मिलती तो भाजपा काे मुस्लिम महिलाओं के वोट से जो रही सही उम्मीद थी, वह भी चली जाती। जानकारों के मुताबिक भाजपा इस मुद्दे को पूर्वांचल में वोटिंग से पहले उत्तराखंड से भी ज्यादा शोर के साथ उठाएगी। अभी यहां 5 चरणों के मतदान बाकी हैं।

जिन्ना और हिजाब पर राजनीति पहले ही हो रही है

अगर भाजपा यूपी में भी समान नागरिक संहिता यानी विवाह, तलाक, संपत्ति-विरासत पर कानून लाने की घोषणा करती है, तो मुस्लिम मतदाताओं के लिए मायने थोड़ा बदलते दिख रहे हैं। वोटों के ध्रुवीकरण के लिए जिन्ना और हिजाब पर राजनीति पहले ही हो रही है। लेकिन समान नागरिक संहिता ध्रुवीकरण का ब्रह्मास्त्र साबित हो सकता है।

इसमें धर्म या आस्था से कोई मतलब नहीं

अब सबसे पहले जानते हैं उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने क्या कहा? जिसके बाद नए सिरे से बहस छिड़ गई है। उन्होंने प्रचार के दौरान कहा कि प्रदेश में भाजपा सरकार बनते ही समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति बनाई जाएगी। कमेटी तमाम मसलों पर बात करेगी। समान नागरिक संहिता के तहत सभी लोगों के लिए विवाह, तलाक, जमीन, संपत्ति और विरासत के संबंध में एक समान कानून व्यवस्था का लाभ मिलेगा। इसमें धर्म या आस्था से कोई मतलब नहीं होगा।