ता​​लिबानियों की खौफ से अफगानिस्तान के केंद्रिय मंत्री जर्मनी में कर रहे हैं, पिज्जा डिलिवरी

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(www.arya-tv.com)  आप सबने हाल-फिलहाल यह तस्वीर देखी होगी। ये हैं सैयद अहमद शाह सादात। अभी जर्मनी में पिज्जा डिलेवरी कर रहे हैं। महज 9 महीने पहले अफगानिस्तान में राष्ट्रपति अशरफ गनी सरकार में मंत्री थे। सादात के पास ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की दो-दो डिग्रियां हैं। उन्होंने 22 साल तक दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम किया है। अब जर्मनी में फिर से काम तलाश रहे हैं। सादात की ये तस्वीर जब सामने आई तो सब हैरान रह गए। कुछ को उनके हालात पर तरस आया, तो कुछ ने उनकी ईमानदारी की तारीफ भी की।

सादात की ये कहानी दुनिया में सबसे पहले जर्मन जर्नलिस्ट जोसा मानिया श्लेगल लेकर आए। दरअसल श्लेगल को वो जर्मनी के लाइपसिग शहर में पिज्जा डिलीवरी करते मिले। जब सैयद सादात ने उन्हें बताया कि वे अफगानिस्तान के पूर्व मंत्री हैं तो उन्हें यकीन नहीं हुआ। अगले कई दिनों तक श्लेगल ने उनके दस्तावेजों की जांच की और फिर उनकी कहानी पब्लिश की।

नवंबर 2020 में अफगानिस्तान छोड़ने से पहले तक वो देश के सूचना विभाग के कार्यवाहक मंत्री थे। करीब आठ महीने अफगानिस्तान सरकार में मंत्री रहे और फिर जर्मनी चले गए। अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के बाद बड़ी तादाद में अफगान लोग देश छोड़ रहे हैं। इनमें डॉक्टर, इंजीनियर, टीचर, जर्नलिस्ट, मानवाधिकार कार्यकर्ता, राजनीतिक कार्यकर्ता और पढ़े-लिखे लोग शामिल हैं।

सैयद सादात की कहानी अफगानिस्तान के शरणार्थी संकट को और गहरा करती है। दैनिक भास्कर ने बड़ी मशक्कत से उन्हें तलाशा और बात की। करीब 18 घंटे उन तक पहुंचने में लगे। आखिर रात करीब साढ़े तीन बजे उनसे बात हो पाई। थोड़े कम बोलने वाले से लगे। चलिये इसमें वक्त नहीं लगाते हैं, सीधे सवाल-जवाब पर आते हैं…

सवालः आज पूरी दुनिया आपके बारे में पढ़ रही, आप क्या कहना चाहेंगे?

जवाब: पूरी दुनिया मेरी कहानी पढ़ रही है तो मेरा दुनिया के लिए संदेश यही है कि यदि कोई मंत्री हो या सरकार में किसी ऊंचे पद पर हो, उसे अपना काम पूरी ईमानदारी और वफादारी से करना चाहिए। जब काम पूरा हो जाए तो उसे फिर से एक सामान्य व्यक्ति बन जाना चाहिए।

सवालः आप पहले मंत्री थे, अब पिज्जा डिलीवर कर रहे हैं, बहुत से लोगों को आप पर तरस भी आ रहा है, उनसे क्या कहेंगे?

जवाब: दुर्भाग्यवश, एशिया में, मध्यपूर्व में जब कोई व्यक्ति किसी ऊंचे पद पर पहुंच जाता है तो वह समाज में सामान्य काम नहीं कर पाता है। ये गलत है। यदि कोई व्यक्ति किसी ऊंचे पद पर पहुंच गया है और पद से हटने के बाद अगर वह कोई सामान्य काम या छोटी-मोटी नौकरी करता है, तो समाज को उसे सामान्य नौकरी और जीवन में स्वीकार करना चाहिए।

सवालः अपने बार में बताइये, आप अफगानिस्तान में कहां से हैं और आपने कहां पढ़ाई की?

जवाब: मैं अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत से हूं। मेरे जिले का नाम दर-ए-नूर है, जो जलालाबाद के पास है। मैं 1988 में ब्रिटेन गया था। मैंने ऑक्सफोर्ड से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री ली। मैंने दो मास्टर डिग्री ली हैं। एक सेटेलाइट और रेडियो इंजीनियरिंग में और दूसरी मोबाइल एंड वायरलैस कम्यूनिकेशन में। ये डिग्री मैंने यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर साइंस विभाग से ली है।

सवालः आपने दुनिया की सबसे चर्चित यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की तब तो आपका करियर भी शानदार रहा होगा?

जवाब: मेरी पहली नौकरी नॉर्टन नेटवर्क के साथ थी। इसके बाद मैंने एल्काटेल लूसेन के साथ काम किया। फिर मैंने कई बड़ी मोबाइल और नेटवर्क कंपनियों में काम किया। मैंने मोटोरोला में काम किया, जॉर्जिया टेलीकॉम, ब्रिटिश टेलीकॉम, बीटी-स्पेन, टेलीफोनिका, स्पेनिश टेलीकॉम, स्विसकॉम और सऊदी अरब की आरामको में भी काम किया। काम के सिलसिले में मैंने स्पेन, स्विट्डरलैंड, इटली, सऊदी अरब, फ्रांस, जॉर्जिया, दुबई, अफगानिस्तान और अमेरिका समेत कई अन्य देशों की यात्राएं की थीं।

सवालःसैयद अहमद शाह सादात ने लंबे वक्त तक IT सेक्टर में काम किया है। अफगानिस्तान में मोबाइल नेटवर्क मजबूत करने में उनका अहम योगदान रहा है।
सैयद अहमद शाह सादात ने लंबे वक्त तक IT सेक्टर में काम किया है। अफगानिस्तान में मोबाइल नेटवर्क मजबूत करने में उनका अहम योगदान रहा है।
सवालः नौकरियां करते-करते आप मंत्री कैसे बन गए?

जवाब: मैंने सऊदी की टेलीकॉम कंपनी STC और अफगानिस्तान में अफगान वॉयरलेस में भी काम किया। फिर अफगानिस्तान टेलीकॉम रेग्यूलेटरी अथारिटी (अतरा) से जुड़ा। मेरे काम और अनुभव के आधार पर मुझे अफगानिस्तान के संचार मंत्रालय में सलाहकार बना दिया गया। यहां फिर मैं डिप्टी मिनिस्टर और उसके बाद इंफॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी मिनिस्टर बना। मेरे पास टेलीकॉम कंपनियों में काम करने का 22 सालों का अनुभव था, जो मंत्री पद पर रहते हुए बहुत काम आया। मैंने अफगानिस्तान में मोबाइल नेटवर्क मजबूत करवाए।

सवालः आप सरकार में मंत्री थे तो फिर ये पद क्यों छोड़ा, जर्मनी क्यों आना पड़ा?

जवाब: बाद में अफगानिस्तान के खराब होते हालात और राष्ट्रपति अशरफ गनी की टीम से मतभेदों के चलते मैंने इस्तीफा देने का फैसला लिया। सरकार से इस्तीफा देकर मैं जर्मनी आ गया।

सवालः आप पिज्जा डिलीवरी कैसे करने लगे, क्या आपने और कोई काम करने की कोशिश भी की?

जवाब: मैं साल 2020 के अंत में जर्मनी पहुंचा था। मैं यहां IT सेक्टर में नौकरी खोज रहा था। जब मैंने जर्मनी में नौकरियों के लिए एप्लिकेशन भेजी तो अधिकतर कंपनियों ने जर्मन भाषा की मांग की। मुझे जर्मन भाषा नहीं आती है। जब मुझे कहीं नौकरी नहीं मिली ते मैंने लेफ्रांडो में डिलीवरी सर्विस में काम शुरू किया। इस नौकरी से मैं अपनी ट्यूशन फीस के लिए पैसे बचा पा रहा हूं। मैं जर्मन भाषा सीखकर दोबारा टेलीकॉम क्षेत्र में लौटना चाहता हूं और जर्मनी में टेलीकॉम कंपनी में काम करना चाहता हूं। मैं उम्मीद करता हूं कि मुझे जर्मन टेलीकॉम में नौकरी मिल जाएगी। जब तक नौकरी नहीं मिल रही है, मैं लेफ्रांडो में डिलीवरी सर्विस का काम करता रहूंगा।

 सवालःअपनी जिंदगी के इस दौर के बारे में आप क्या कहेंगे?

जवाब: मुझे लगता है कि सामान्य व्यक्ति के भी अपने अनुभव होते हैं। जिंदगी का मतलब ही अनुभव है। मैंने हाई क्लास लाइफ का अनुभव लिया है, मैं मिडिल क्लास में भी रहा हूं और अब मैं लोअर क्लास में जी रहा हूं। मैं अपनी मौजूदा जिंदगी के मजे ले रहा हूं। मैंने बेहद उच्च स्तर का जीवन भी जिया है और अब मैं बहुत साधारण जीवन भी जी रहा हूं। सच कहूं तो मैं अपने जीवन के पूरे मजे ले रहा हूं।

पिछले साल के अंत तक सैयद अहमद शाह सादात राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार में मंत्री थे। इसके बाद अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति से कुछ मतभेदों के कारण उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
पिछले साल के अंत तक सैयद अहमद शाह सादात राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार में मंत्री थे। इसके बाद अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति से कुछ मतभेदों के कारण उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
सवालः बहुत से लोग ये कह रहे हैं कि एक पूर्व मंत्री को पिज्जा डिलीवर करना पड़ रहा है। लोग आपकी स्थिति को अफगानिस्तान के हालात से जोड़कर भी देख रहे हैं?

जवाब: मुझे नहीं लगता कि इस काम काम को करने में कुछ भी गलत है। मैं दुनिया को ये संदेश देना चाहता हूं कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके पास कितनी बड़ी नौकरी थी या आपने कितने ऊंचे स्तर पर काम किया है, आप इस सबके बावजूद भी सामान्य व्यक्ति की तरह रह सकते हैं और सामान्य काम कर सकते हैं।

सबसे अहम बात ये है कि लोगों को अपनी जिंदगी के मजे लेने चाहिए। लोगों और उन पर शासन करने वाले नेताओं के बीच में बाधाएं नहीं होनी चाहिए। उनका जीवन एक जैसा होना चाहिए। आप मुझे देखकर हैरान न हों। मैं कोई असाधारण काम नहीं कर रहा हूं, व्यवस्था ऐसी ही होनी चाहिए जिसमें सब बराबर हों।

सवालः अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर आप क्या कहेंगें?

जवाब: अफगानिस्तान के मौजूदा हालात से दुनिया को आंखें नहीं मूंदनी चाहिए, क्योंकि यह फिर से पूरी दुनिया के लिए समस्या खड़ी करने वाला इलाका बन सकता है। दुनिया को तालिबान के साथ मिलकर काम करना चाहिए। तालिबान को दुनिया की जरूरत है और दुनिया को शांत अफगानिस्तान और तालिबान की जरूरत है, ताकि मिलकर काम किया जा सके। यदि दुनिया के अहम देश तालिबान के साथ मिलकर काम करेंगे तो अफगानिस्तान आर्थिक तौर पर स्थिर हो जाएगा। तालिबान दुनिया का सहयोग करेगा तो उसे फंड भी मिलेगा।

सवालः क्या आपको लगता है कि तालिबान अफगानिस्तान को संभाल पाएगा?

जवाब: तालिबान को ये सुनिश्चित करना होगा कि अब अफगानिस्तान का इस्तेमाल आतंक की गतिवधियों के लिए ना हो पाए। तालिबान को ड्रग्स तस्करी भी रोकनी होगी। इसके लिए तालिबान और दुनिया के बीच संबंध बनने जरूरी हैं। स्थिर अफगानिस्तान पड़ोसी देशों, क्षेत्र और पूरी दुनिया के हित में है। अब शासन तालिबान के पास है तो लोगों को भी उसका सहयोग करना चाहिए।