पडरौना राजघराने ने 42 वर्षों तक निभाया कांग्रेस से रिश्ता, जानें क्या है पूरा मामला

Gorakhpur Zone UP

(www.arya-tv.com) पडरौना राजघराने को पूर्वांचल में कांग्रेस के एक मजबूत किले के रूप में देखा जाता रहा है। इसकी वजह रही है, क्षेत्र में इस परिवार की पकड़ और पार्टी से मजबूत राजनीतिक संबंध। 1980 में जब इस राजपरिवार ने कांग्रेस का हाथ पकड़ा तो 42 वर्षों तक कभी किसी अन्य दल की ओर नहीं देखा।

मंगलवार को कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह (आरपीएन सिंह) के भाजपा में शामिल होने के साथ ही उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस का यह मजबूत किला उसके हाथों से सरक गया। कुछ दिनों से कुंवर आरपीएन सिंह के भाजपा में शामिल होने की चर्चा चल रही थी। सोमवार को पडरौना राजदरबार में कांग्रेस के विधानसभा प्रभारियों से बातचीत के दौरान जागरण के कांग्रेस छोडऩे के सवाल पर खुलकर तो नहीं बोले, लेकिन मौन स्वीकृति जरूर दी थी।

ऐसा रहा आरपीएन स‍िंह का राजनीतिक सफर

25 अप्रैल, 1964 को जन्मे आरपीएन सिंह ने दून स्कूल से पढ़ाई की। 1991 में पहली बार पडरौना विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे और भाजपा से हार का सामना करना पड़ा। 1996 में कांग्रेस से पडरौना संसदीय सीट से चुनाव लड़े यहां भाजपा प्रत्याशी रामनगीना मिश्र से हारे। इसी वर्ष कांग्रेस-बसपा गठबंधन से पडरौना से विधायक बने। 2002, 2007 में कांग्रेस से इसी सीट से विधायक बने। 2009 में कांग्रेस से सांसद बने। 2014, 2019 में लगातार भाजपा प्रत्याशियों से हार का सामना करना पड़ा।