चीन की दगाबाजी पर भारत-प्रशांत क्षेत्र में चुनौती देगा AUKUS

# ## International

(www.arya-tv.com) ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका (AUKUS) के बीच नया रक्षा समूह बना है, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में केंद्रित होगा। यूएस, ऑस्ट्रेलिया से परमाणु पनडुब्बी की टेक्नोलॉजी साझा करेगा। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस के साथ 2.9 लाख करोड़ रु. के पनडुब्बी सौदे को रद्द कर दिया, जिसे फ्रांस ने छुरा घोंपने जैसा बताया है। पड़ोस में हुए इस करार पर चीन ने कहा कि इससे क्षेत्र में हथियारों की होड़ बढ़ेगी।

नए समूह के बनने से क्षेत्र का शक्ति संतुलन कैसे बदलेगा?
इस नए समूह का मकसद चीन के हिंद प्रशांत और द. चीन सागर क्षेत्र में उसके प्रभाव को रोकना है। इस गठबंधन में शामिल तीनों देश साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और पानी के नीचे की क्षमताओं समेत अपनी तमाम सैन्य क्षमताओं को बेहतर बनाने के लिए एक दूसरे से तकनीक साझा करेंगे। यह गठबंधन इसलिए अहम माना जा रहा है कि चीन के अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही के साथ संबंध लगातार खराब हो रहे हैं और क्षेत्र में चीन लगातार घिर रहा है।

आखिर फ्रांस इस नए ग्रुप के बनने का विरोध क्यों कर रहा?
अब अमेरिकी सहयोग से पनडुब्बी तकनीक के आधार पर ऐडिलेड में नई पनडुब्बियां बनेगी। ऑस्ट्रेलिया ने चार साल पहले इस तरह की सबमरीन के लिए फ्रांस से 2.9 लाख करोड़ रु. की डील रद्द कर दी। इस घाटे से तिलमिलाए फ्रांस ने बाइडेन को ट्रम्प जैसा बताया है।

इस नए समूह के बनने से चीन क्यों डरा हुआ है?
अब अमेरिका के बड़ी संख्या में फाइटर प्लेन और अमेरिकी सैनिक ऑस्ट्रेलिया में तैनात होंगे। इससे क्षेत्र में अमेरिकी दबदबा बढ़ेगा। अमेरिका-चीन में तनातनी बढ़ेगी। यूरोपीय देश नैतिकता के आधार पर बाइडेन का विरोध कर रहे हैं। इससे साख पर असर पड़ सकता है।

ऑस्ट्रेलिया ने चीन की जगह अमेरिका को क्यों चुना?
बीते कुछ वर्षों में चीन-ऑस्ट्रेलिया की दोस्ती में दरार आई है। ऑस्ट्रेलिया ने कोविड की न्यायिक जांच की मांग की और चीन की कंपनी को 5 जी नेटवर्क बनाने से रोका। इससे तिलमिलाए चीन ने ऑस्ट्रेलिया से आने वाली शराब और बीफ पर पाबंदी लगा दी। बीते साल ऑस्ट्रेलिया में चीनी निवेश में 61% की कमी आई है।