गर्भवती महिलाओं में डायबिटीज से कई तरह के रोग तेजी से विकसित होते हैं। ये हद से ज्यादा बढ़ जाए तो शरीर के अंग प्रभावित हो जाते हैं। किडनी फेल, आंखों की रोशनी, गर्भपात जैसी समस्याएं हो सकती हैं। डायबिटीज दो प्रकार की होती है। टाइप 1 जिसमें कुछ परहेज की सलाह दी जाती है।
टाइप 2 में इंसुलिन लेना जरूरी होता है। इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। सही खानपान एवं सही मात्रा में इंसुलिन लेना बेहद आवश्यक है। डायबिटीज का सबसे बड़ा कारण जेनेटिक है। माता पिता ही नहीं यदि दादा दादी, नाना- नानी किसी को भी डायबिटीज रहा है तो समय समय पर जांच अवश्य कराएं। गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज के कारण बहुत समस्याएं आती हैं। गर्भधारण की प्लानिंग कर रहे हैं तो इसका ख्याल अवश्य रखें।

कुछ महिलाओं में केवल गर्भावस्था के दौरान ही समस्या उभरती है। यह मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकती है। इससे गर्भपात का खतरा रहता है। साथ ही कई बार बच्चे का पूर्ण विकास ना होना या आकार बहुत बढ़ जाना जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। ऐसी महिलाओं को ब्लड प्रेशर की समस्या भी शुरू होने की संभावना रहती है।
डायबिटीज से बचने के लिए इन बातों का रखें ख्याल
-समय समय पर शुगर लेवल चेक कराएं। खासकर गर्भवती हैं या गर्भधारण की प्लानिंग कर रही हैं तो अवश्य ध्यान दें।
-शरीर में पानी की कमी न होने दें। दिन में आवश्यकता अनुसार पानी अवश्य पीएं।
-समय समय पर शुगर लेवल चेक कराएं। खासकर गर्भवती हैं या गर्भधारण की प्लानिंग कर रही हैं तो अवश्य ध्यान दें।
-शरीर में पानी की कमी न होने दें। दिन में आवश्यकता अनुसार पानी अवश्य पीएं।
-ध्यान रहे कि शुगर का मतलब सिर्फ प्रत्यक्ष रूप से ली गई शुगर नहीं है। खाद्य पदार्थों, फलों से भी शक्कर शरीर में पहुंचती है और ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित करती है।
-मोटापे या किसी अन्य समस्या से प्रभावित हैं तो एकदम से खाना पीना कम मत कर दें। डॉक्टर की सलाह अनुसार डाइट में परिवर्तन करें। अचानक से डाइट कंट्रोल करने पर शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जो परेशानी पैदा कर सकती है ।
-मोटापे या किसी अन्य समस्या से प्रभावित हैं तो एकदम से खाना पीना कम मत कर दें। डॉक्टर की सलाह अनुसार डाइट में परिवर्तन करें। अचानक से डाइट कंट्रोल करने पर शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जो परेशानी पैदा कर सकती है ।