बाराबंकी में कोविड को भूल दर्शन को उमड़े श्रद्धालु, लोधेश्वर महादेवा मंदिर में भक्तों ने किया जलाभिषेक

Lucknow

(www.arya-tv.com)उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में लोधेश्वर महादेवा मंदिर में भक्तों की आस्था के आगे प्रशासन को झुकना पड़ा। सावन के पहले सोमवार पर दूर दराज से हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े। हर-हर महादेव, ऊं नम: शिवाय और बोल बम आदि जयकारों से मंदिर गूंज उठा। भक्तों ने शिवलिंग की विधि विधान से पूजा अर्चना और जलाभिषेक कर मनोकामना मांगी। वहीं मंदिर में प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, लेकिन कोरोना के नियमों का पालन नहीं कराया जा रहा है।

रात 12:35 बजे खुले मंदिर के कपाट
प्रशासन ने कोविड के चलते मंदिर के कपाट बंद रखे थे, लेकिन संडे रात से ही हजारों की संख्या में भक्त जुटने लगे थे जिसके बाद सोमवार देर रात 12:35 बजे प्रशासन ने महादेवा मंदिर के कपाट खोले। हालांकि लोधेश्वर महादेवा का मेला नहीं लगा है और दुकानें खोलने की अनुमति भी जिला प्रशासन ने नहीं दी है।

सुरक्षा के लेकर ये किए गए इंतजाम
लोधेश्वर महादेवा तीर्थ जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर रामनगर तहसील मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूर लोधौरा गांव में स्थित है। महादेव के दर्शन में भक्तों की सुविधा के लिए बैरीकेडिंग कराई गई हैं। कतारबद्ध श्रद्धालु मंदिर के पूरब वाले द्वार से मंदिर में प्रदेश कर जलाभिषेक के बाद दक्षिण वाले द्वार से निकल रहे हैं। मंदिर के पश्चिम में बने विशाल सरोवर में स्नान करके भी ज्यादातर श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं इसलिए तालाब में भी जाल लगाया गया है।

कई जिलों के श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे
महादेवा मंदिर के मठ पुजारी आदित्य महाराज ने बताया कि सावन में भगवान शिव हर शिवलिंग में विराजते हैं। बेलपत्र, धतूरा, भांग, मदार के फूल और शमी की लकड़ी से पूजन किया जाता है। लोधेश्वर महादेवा में जलाभिषेक के लिए जिले के अलावा लखनऊ, बहराइच, कानपुर, उन्नाव, उरई, जालौन समेत कई जिलों से बड़ी तादात में शिव भक्त आए हैं।

इसलिए खास है लोधेश्वर महादेवा मंदिर
श्रृद्धालुओं ने बताया कि वह हर सावन में एक बार लोधेश्वर के दर्शन करने जरूर आते हैं। यहां आकर उनको बहुत खुशी मिलती है। लोधेश्वर महादेव की कृपा से उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। दर्शन के लिए दूर-दूर से आए श्रद्धालु उसके पास से बेल पत्र, धतूरा, भांग, मदार का फूल और बेर समेत आदि पूजन सामग्री लेकर भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं।