(www.arya-tv.com)लखनऊ नगर निगम में 20 फीसदी कमीशन पर NGO को काम दिया जा रहा है। इस संबंध में एक ऑडियो सामने आया है, जो नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी का बताया जा रहा है। इसमें एक NGO के माध्यम से काम कराने की बात हो रही है। दो लोगों के बीच बातचीत में दूसरा शख्स काम के एवज में 20 फीसदी देने की बात करता है।
नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने ऑडियो को भ्रामक बताया है। कहा कि, लखनऊ नगर निगम में कोई NGO काम नहीं करता है। उनकी बात भी किसी से नहीं हुई है। उन्होंने इससे साफ तौर पर इंकार किया है।
बातचीत में क्या है…
पहला व्यक्ति- पीछे वाला गेट है न सर, हम वहीं खड़े थे। सोचा होगा वहीं रूके है। हम उनको वहीं छोड़ दिए, फिर अंदर चले गए ताज में। सोचा होगा संघ वाले हैं।
दूसरा व्यक्ति- हूं।
पहला व्यक्ति- इसमें सर वह सही था, कीमत 20 वाला। अर्चना मैम से आज मिल ले, वह कल तो मुलाकात हो नहीं पााई थी, ऑफिस में बैठी नहीं थी।
दूसरा व्यक्ति- हूं। यार तुम किसी और को नहीं भेज सकते हो।
पहला व्यक्ति- भेज देंगे, किसी और को भेज देंगे। लेकिन वह हमको पहचानती तो है नहीं। इस काम के बाद दोबारा मिलना तो होगा नहीं।
दूसरा व्यक्ति- हूं… यार तुम घर पर आते तो रहते हो।
पहला व्यक्ति- घर पर कभी देखी नहीं है वो हमको सर जो काम करेगी कंपनी, वो गाजियाबाद की कंपनी है। गाजियाबाद की एनजीओ है। शुक्ला है , गाजियाबाद के। दूसरे शुक्ला है गाजियाबाद के। अमिताभ शुक्ला है। या तो कहिए उनको ही बुला लें सर।
दूसरा व्यक्ति- एनजीओ वालों को …
पहला व्यक्ति- अभी चार से पांच जगह से काम कर रहे है। दिल्ली में, गाजियाबाद में, नोएडा में, काम हो जाएगा आसानी से। कोई टीका टिप्पड़ी भी नहीं रहेगा। दूर की कंपनी भी रहेगी। उन्हीं को बुला ले सर, उनके साथ ही ले जाना। ओके सर, ठीक सर, प्रमाण सर।
दूसरा व्यक्ति- … और सुनो, …. आगे की आवाज क्लीयर नहीं
पहला व्यक्ति – जी सर, चालू हो गया। अकाउंट नंबर आज मिल जाएगा।
दूसरा व्यक्ति – ठीक है तो उसी में करा दो न।
पहला व्यक्ति – त्रिवेदी से?
दूसरा व्यक्ति – हां , आवाज क्लीयर समझ में नहीं आई।
पहला व्यक्ति – ठीक है करा देंगे, आरटीजीएस करा रहे रहे है, संघ का नाम ले रहे। इस लिए हम एवाइड कर गए सर, संघ का जाना पहचाना नंबर रहता है, वह अगर ले गए तो दिक्कत होगी, कहां दे पाएंगे हमलोग । ये एनजीओ को कर दीजिए, हम यहां से संघ ट्रांसफर कर देंगे।
दूसरा व्यक्ति – … आवाज समझ में नहीं आ रही यहां।
पहला व्यक्ति – संघ के एनजीओ अलग रहते है, उसमें कहां, दीजिए हम उसी एनजीओ में ले लेंगे।
पहला व्यक्ति – ठीक है सर , हम उनसे बात कर लेते है, चेक करा कर आरटीजीएस कर देंगे। उनको पता भी नहीं चलेगा। बाद में पता चलेगा किस अकाउंट में ट्रांसफर हुआ।
दूसरा व्यक्ति – पांच ऐसे दे देना बाकी अकाउंट में
पहला व्यक्ति – जी सर , प्रमाण सर।
अपर नगर आयुक्त के यहां जाने की बात
ऑडियो में संबंधित व्यक्ति जिसको नगर आयुक्त बताया जा रहा है, वह एजेंट से अपर नगर आयुक्त अर्चना द्विवेदी से मिलने की बात करता है। इसमें एजेंट कहता है कि वह कभी उनसे मिला नहीं है। कल वह अपने दफ्तर में भी नहीं थी और उनको पहचानती भी नहीं है। इसमें वह जिस NGO को काम दिलाना है उसके लोगों से मिलवाने की बात करता है।
संघ को पैसा जाने की बात
ऑडियो में बार-बार पैसा किसी संघ को जाने की बात होती है। इसमें बताया जाता है। संघ के एनजीओ ऐसे नहीं होते है। ऐसे में एनजीओ का अकाउंट बना लिया जाए, उसके बाद दूसरे माध्यम से उसका भुगतान संघ को किया जाएगा। अब यह संघ शब्द इसके लिए इस्तेमाल हो रहा है, इसको लेकर भी संशय है। ऑडियो के आखिर में पांच पहले भुगतान और बाकी पैसा अकाउंट में देने की बात है।
भ्रष्टाचार के आरोप पहले भी लगते रहे
नगर निगम लखनऊ में भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। इसमें पार्षद कई बार सदन में हंगामा भी कर चुके है। यहां तक की खुद मेयर संयुक्ता भाटिया पिछले साल तक यहां होने वाले कामों की जांच के लिए कई बार शासन को पत्र लिख चुकी है। इसमें आरआर विभाग से लेकर डिफेंस एक्सपो में लाखों रुपए की लगी लाइटों में भ्रष्टाचार का आरोप लगा था। दबी जुबान में कुछ पार्षद बताते है कि कोई भी भुगतान नगर निगम में 8 से 12 फीसदी तक भुगतान किए बिना नहीं होता है। यह पैसा आपस में बंटता है। हालांकि इसको लेकर कोई साक्ष्य नहीं दे पाता है।