- मशहूर शायर राहत इंदौरी का मंगलवार को निधन हो गया। राहत इंदौरी को मंच पर उनके साथी शायर मुनव्वर राणा ने कुछ यूं याद किया….
(www.arya-tv.com)अभी कुछ देर पहले हमें राहत साहब के इंतकाल के बारे में पता चला। राहत साहब हमारे दुख-सुख के साथी थे। हम भी ये कहते थे कि स्टेज पर हमारा सिर्फ एक ही दोस्त है राहत। उन्हें भी यह फख्र रहता था कि हमारा भी एक ही दोस्त है जोकि स्टेज पर है और वो है मुनव्वर राना। राहत के साथ बहुत अच्छा वक्त बीता। राहत हमारी बात मानते भी थे। हालांकि हमसे उम्र में बड़े थे, लेकिन हमेशा हमारा लिहाज करते थे।
- कभी हमारे सामने शराब नही पीते थे
मुशायरे के दौरान अगर कभी हम होटल में उनके रूम में पहुंच भी गए तो वह गिलास नीचे रख दिया करते थे। आखिरी दिनों में जब वह बहुत बीमार पड़े तो उन्होंने शराब छोड़ दी थी। हमने उन्हें कहा था कि बेटे को लेकर चला करो अकेले मत जाया करो। दोस्त एहबाब तुम्हे शराब पिला देते हैं। फिर 5-6 बरस से यह हुआ कि राहत अकेले नही जाते थे। अपने बेटे को साथ ले जाते थे। उस समय काफी सहारा मिला उन्हें। तबियत भी कुछ सही हो गयी थी। दवाएं वगैरह खाने के मामले में बड़े लापरवाह थे, लेकिन बेटा साथ रहता था तो वह दवा वगैरह खिलाता था। इससे काफी हद तक हालात सुधरे। लेकिन, ये कमबख्त ये कोरोना इस मुल्क में जब से आया है यह कब किस को खा जाए कुछ कहा नही जा सकता है। राहत साहब को पहले भी कई बार हार्ट की प्रॉब्लम हुई थी। लेकिन राहत साहब ने संभाल लिया था। ये कोरोना उनकी मौत का सबब बन गया। - इस वक्त स्टेज पर राहत जैसा कोई नहीं है
सबसे बड़ी बात हमारे स्टेज पर इस वक्त ऐसा कोई शायर नही है, जो राहत इंदौरी का जवाब बन सके? आइंदा पचास या सौ बरस तक कोई उम्मीद नही है कि राहत के जैसा कोई आदमी उर्दू स्टेज पर आएगा। यह बहुत बड़ा नुकसान है। जो दो चार लोग बचे है उर्दू के उनमें यह एक अगम नुकसान है। स्टेज खाली हुआ जा रहा है। वीरान हुआ जा रहा है। राहत साहब की मौत निदा फाजली की मौत के बाद बड़ा नुकसान है। - फरवरी में किया था उनके साथ आखिरी मुशायरा
हम लोगों ने कम से कम 500 बार स्टेज शेयर किया है। लास्ट हम और राहत साहब एक प्रोग्राम में शामिल हुए थे। फरवरी में हुआ था। उसमें एक प्रोग्राम था शायरी के 50 साल और राहत इंदौरी और मुनव्वर राना के शायरी के 50 साल। तो ये प्रोग्राम हुआ। एक इंटरव्यू की तरह था। हम दोनों अपने अपने किस्से और वाकयात सुना रहे थे। - पांच पैग में अंबाला पहुंच जाएंगे
एक किस्सा हमने राहत साहब का सुनाया। उसमें एक बार हमने राहत साहब से पूछा कि अंबाला जाएंगे तो उन्होंने कहा हां जाएंगे तुम कैसे जाओगे तो हमने कहा ट्रेन से जाएंगे। तो राहत ने कहा हम तो कार से जाएंगे। इसलिए कि हमे जल्दी लौटना है और हमे दिल्ली से रात की ट्रेन पकड़नी है। तो मैंने पूछा कि राहत ये बताओ कि वैसे गाड़ी से कितना वक्त लगता है अम्बाला तक दिल्ली से। तो कहने लगे तुम समझ लो एक…दो… तीन…चार… बस पांचवा पैग हम शुरू करते है बस अम्बाला आ जाता है। वह बहुत जिंदा दिल थे। दोस्तों के काम आने वाले थे।