(www.ayra-tv.com) व्यापार में दीर्घकालीन निर्णय कभी भी उसके काम से पैदा हुई दिखती हुई स्थितियों के आधार पर नहीं लिए जाते, बल्कि उसकी प्रक्रिया की वास्तविक लागत के आधार पर लिए जाते हैं। निवेशक भी इसी प्रोच के हिसाब से काम करते हैं और निवेश से मिलने वाले लाभ को देखते हैं। वे यह सब बनाने में लगाए गए इनपुट के बारे में चिंता नहीं करते, जैसे कम्पनी के कार्बन फुटप्रिंट या उत्सर्जित किया गया कचरा आदि।
चंद्रेश कुमार निगम, एमडी सीईओ एक्सिस एएमसी के अनुसार, हालांकि अब इस एप्रोच को समर्थन नहीं मिल रहा है, क्योंकि व्यापार और समाज के बीच होने वाले संवाद में इन अमूर्त चीजों की लागत के बारे में बात होने लगी है, क्योकि इसका अंतिम परिणाम समाज और हमारे ग्रह को भुगतान पड़ता है।
इसके चलते सभी सम्बद्ध पक्षों जैसे ग्राहक, सरकार, नियामक संस्थाएं, शेयरहोल्डर्स और बड़े स्तर पर समाज द्वारा यह सवाल उठाया जा रहा है कि कम्पनियां कैसे चल रही है और अपने निर्णयों में वे सस्टेनबिलिटी को शामिल करती हैं या नहीं।
भारत में हाल के उदाहरणों पर विचार कीजिए-
दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में प्रदूषण और हवा की खराब गुणवत्ता से लोग परेशान हैं और इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई की मांग उठ रही है। इसमें आॅटो सेक्टर भी शामिल है।
1 प्रदूषण फैलाने वाली कुछ इंडस्ट्रीज के खिलाफ समुदाय का विरोध खुल कर सामने आया और उन्हें बंद किए जाने की मांग उठी।
2 ऑर्गेनिक और आयुर्वेदिक उत्पादों की ओर झुकाव बढ़ा है, क्योकि समुदाय स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दीर्घकालीन प्रभावों के बारे में ज्यादा संवेदनशील हुआ है।
3 मौसम की विपरीत स्थितियों के कारण बाढ़ जैसी स्थितियां सामने आई हैं और सम्पत्ति तथा आजीविका का नुकसान हुआ है। इससे वित्तीय संस्थाओं और बीमा कम्पनियों की लागत बहुत बढ गई।
संक्षेप में कहें तो सामाजिक और पर्यावरण सम्बन्धी बदलाव बहुत तेजी से हो रहे हैं। जलवायु परिवर्तन, असमानता और जनसांख्यकीय स्थितियों के कारण सामने आ रही चुनौतियां बहुत बड़ी हैं। जो कम्पनियां इन्हें स्वीकार कर बदलाव करेंगी वे बहुत ज्यादा फायदे में रहेंगी। वहीं जो इनकी अनदेखी करेंगी, वे पीछे रह जाएंगी और उन्हें नियामक संस्थाओं के कई तरह के प्रतिबंध व जुर्मानाो का सामना करना पडेगा या समुदाय व ग्राहकों द्वारा बंद कर दी जाएंगी।
कैसे निवेशक सस्टेनबिलिटी का ध्यान रख सकते हैं?
वित्तीय जोखिम और रिटर्न के बीच का रिश्ता निवेशक और बाजार बहुत अच्छी तरह समझते हैं। हालांकि जैसा ऊपर बताया गया कि यह समझ बहुत पर्याप्त नहीं रह गई है। सस्टेनबिलिटी अतिरिक्त पहलू है जो निवेश में दूरदर्शिता और सम्पूर्णता लाती है।
फंड मैनेजरो के लिए इस पृष्ठभूमि में निवेश की पूरी कीमत चुकाना एक चुनौती है। इसका उत्तर सम्पोषणीय निवेश है यानी ऐसे व्यापारो पर फोकस कीजिए जो सम्पोषणीयता के साथ चलाए जाते है, पर्यावरणीय और सामाजिक बदलाव की जोखिम और अवसरों को समझिए और कम्पनियों के व्यवहार और प्रशासन को बेहतर बनाने के लिए सक्रिय होइए।
वैश्विक स्तर पर यह माना जाता है कि ईएसजी फ्रेमवर्क यह सुनिश्चित करता है कि निवेश प्रबंधक इस प्रक्रिया को पूर्ण रूप से करने में सक्षम है। ईएसजी का अर्थ है पर्यावरणीय, सामाजिक और प्रशासनिक फैक्टर्स और यह फे्रमवर्क यह चिन्हित करने के काम आता है कि हर कम्पनी इन पहलुओं पर काम कैसे कर रही है या किस तरह इन्हें देख रही है।
जहां यह तीन फेक्टर्स विस्तृत रूप से परिभाषित हैं, वहीं व्यवहारिक रूप में आमतौर पर कई विषय इनमें से एक से अधिक फैक्टर्स पर छा जाते हैं। उदाहरण के लिए जलवायु परिवर्तन स्पष्ट तौर पर पर्यावरण से जुड़ा मुददा है, लेकिन फाॅसिल फयूल्स यानी पेट्रोल डीजल आदि द्वारा किया गया प्रदूषण सामजिक प्रभाव भी रखता है, क्योंकि प्रदूषण और मौसम की अतिरेक स्थितियां रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित करती है और नागरिक एक बेहतर ग्रह यानी स्थितियों की मांग करते हैं।
सस्टेनबिलिटी पर चूंकि अब सहमति बढ़ती जा रही है, ऐसे में इस बात पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि उत्तरदायित्वपूर्ण निवेश और ईएसजी विश्लेषण में रुचि भी तेजी से बढ़ रही है। उपभोक्तावाद, बाजार की मांग और नियम इस बात के लिए महत्वूपर्ण भूमिका निभा रहे हैं कि ईएसजी से जुडे़ मुददे निवेशक के क्लाइंट और लाभान्वितों के प्रति समान रूप से उत्तरदायित्व का हिस्सा बनें।
विकास को गति देने वाले मुददों को मजबूती देना इस बात का बोध भी कराता है कि सस्टेनबिलिटी का ध्यान रखना निवेश के प्रदर्शन की कीमत पर नहीं हो रहा है। वास्तव में ईएसजी विश्लेषण एक अतिरिक्त लैंस उपलब्ध कराता है, जिसके जरिए दीर्घावधि और मापने में मुश्किल मुद्दों का आकलन किया जा सकता है। ये मुद्दे पोर्टफोलियो की सुरक्षा और प्रदर्शन पर गहरा प्रभाव डालते हैं।
संक्षेप में जहां निवेशकों के लिए सस्टेनेबल निवेश अल्फा जनरेट के लिए एक नया रास्ता खोलने की सम्भावना बनाता है, वहीं समुदाय के लिए सस्टेनबिलिटी का अर्थ है कुछ ऐसा जिसकी पहुंच बहुत ज्यादा है और जो बहुत महत्वपूर्ण है। इसीलिए हम मानते हैं कि सस्टेनबिलिटी वित्त एक जिम्मेदार निवेशक के लिए बहुत विचारणीय मुद्दा है। सरल शब्दों में देखें तो पूंजी बाजार को भूमण्डलीय और सामजिक सीमाओं में ही काम करना होता है और अभी वे ऐसा नहीं कर रहे।