पीजीटीआई नेक्स्टजेन 2025 में डॉ. राजेश्वर सिंह ने लखनऊ गोल्फ क्लब के लिए रखा विज़न

Lucknow

लखनऊ : ऐतिहासिक लखनऊ गोल्फ क्लब की हरी-भरी फेयरवे पर खेल भावना और सौहार्द्र का अनोखा संगम देखने को मिला, जब पीजीटीआई नेक्स्टजेन गोल्फ टूर्नामेंट 2025 का सफल समापन हुआ। इस अवसर पर सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने बड़े भाई रामेश्वर सिंह के साथ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे और विजेताओं को सम्मानित किया।

डॉ. सिंह ने टूर्नामेंट की सफलता पर आयोजकों को बधाई देते हुए विशेष रूप से श्री सुबाष चंद्र (आईपीएस, सेवानिवृत्त) के बारे में बताया कि “हम दोनों ने उत्तर प्रदेश पुलिस में साथ काम किया है और आज उन्हें इस आयोजन का हिस्सा बनते देखना सुखद है।” उन्होंने आगे कैप्टन आर.एस. नंदा, सचिव रजनीश सेठी, संयुक्त सचिव सह कोषाध्यक्ष संजीव अग्रवाल एवं पीजीटीआई सीईओ अमनदीप जोहल को उनके दूरदृष्टि और कठिन परिश्रम के लिए सराहा।

खेल अर्थव्यवस्था में भारत की भूमिका
डॉ. सिंह ने कहा कि ऐसे टूर्नामेंट सिर्फ खेल प्रतियोगिता नहीं बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक संवाद का माध्यम भी हैं। “भारत की खेल अर्थव्यवस्था वर्तमान में 52 अरब डॉलर की है, जो 2030 तक बढ़कर 130 अरब डॉलर तक पहुँचेगी। यह करोड़ों रोजगार और व्यवसायिक अवसर सृजित करेगी, जिसमें गोल्फ जैसे खेल अहम योगदान देंगे।”

लखनऊ गोल्फ क्लब का भविष्य
“हेरिटेज मीट्स द फ्यूचर” शीर्षक के साथ अपना विज़न साझा करते हुए डॉ. सिंह ने क्लब के लिए ₹100 करोड़ का ‘स्पोर्ट्स प्रमोशन कॉर्पस’ बनाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि क्लब को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित बनाने के लिए सदस्यता विस्तार, प्रायोजन (sponsorships), और युवाओं में निवेश अनिवार्य है। इसके लिए संरचित कोचिंग एवं प्रशिक्षण से ही भावी गोल्फ चैंपियनों का निर्माण संभव है।

गोल्फ – उम्मीद और धैर्य का खेल
डॉ. सिंह ने गोल्फ को “उम्मीद का खेल” बताते हुए कहा, “हर स्विंग एक नई शुरुआत है, हर कदम हरे मैदान पर हमें धैर्य, अनुशासन और संबंधों की मजबूती सिखाता है। गोल्फ हमें यह सीख देता है कि पिछला शॉट बदला नहीं जा सकता और अगले शॉट का अनुमान नहीं लगाया जा सकता; हमें वर्तमान पर ही फोकस करना होता है। यही जीवन की सफलता का मूल मंत्र है।”

लखनऊ की गौरवशाली परंपरा
उन्होंने कहा, “लखनऊ गोल्फ क्लब की परंपरा बेहद गौरवशाली रही है। यहाँ के खिलाड़ी और सदस्य सदैव हमारी राजधानी की खेल भावना को प्रेरित करते रहे हैं। 2007 से सदस्य होने के नाते मेरी सदैव यही कामना रही है कि यह संस्थान निरंतर ऊँचाइयाँ छुए और इसी तरह भव्य आयोजन करता रहे।”

आभार और संकल्प :
अपने संबोधन के अंत में डॉ. सिंह ने आयोजकों की दूरदृष्टि, प्रायोजकों के सहयोग और खिलाड़ियों के उत्साह के लिए आभार जताया। उन्होंने विश्वास जताया कि लखनऊ आने वाले वर्षों में ऐसे आयोजनों के जरिए युवाओं को प्रेरित करेगा और भारत की खेल विरासत को नई ऊँचाइयाँ देगा।