ट्रंप के टैरिफ वाले ऐलान का यूपी में असर, कालीन व्यवसाय पर मंडरा रहे संकट के बादल

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भदोही के कालीन व्यवसाय पर इन दिनों संकट के बाद मंडरा रहे हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ का ऐलान इस उद्योग की कमर तोड़ रहा है, लिहाजा अब इस व्यवसाय से जुड़े लोग सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. जहां कभी खुशहाली थी वहां अब सन्नाटा पसर गया है, जो गोदाम इन दिनों खाली हो जाया करते थे वहां अब माल डंप है. कालीन के ऑर्डर होल्ड पर हैं और व्यवसाय से जुड़े लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं.

कालीन का व्यापार पहले भी बाजार में अपनी जगह को लेकर जद्दोजहद कर रहा था. इसी बीच 2 अप्रैल को 10 प्रतिशत ड्यूटी का फरमान आया और कहा गया कि 29 जुलाई तक सब फाइनल हो जाएगा. ठीक 30 जुलाई को अमेरिका की ओर से 25 प्रतिशत का एडिशनल टैरिफ लगा दिया गया और अब उसके बाद 27 अगस्त से 50 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया गया है. जिसके कारण आर्डर को होल्ड कर दिया गया है और माल गोदाम में डंप है. 25 हजार करोड़ के डंप माल ने इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को चिंतित कर दिया है.

ऑल इंडिया कारपेट मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन के सचिव एवं डायरेक्ट कार्पेट एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल पीयूष बरनवाल की माने तो परेशानी बढ़ रही है और सरकार से मदद की गुहार है. बता दें कि भदोही की कालीन का 99 प्रतिशत व्यापार विदेशी बाजार पर निर्भर है और उसका 60 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ अमेरिका में खपत होता है. बाकी यूरोप ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड चाइना को जाता था लेकिन वहां भी माल उन जगहों से अमेरिका के बाजार में जाता था.

अमेरिका के टैरिफ से70प्रतिशतकी व्यवस्था पर संकट

अब अमेरिका के टैरिफ का असर इस व्यवसाय पर देखने को मिलने लगा है और 70 प्रतिशत की व्यवस्था पर संकट है. जानकारों की माने तो अगर बाजार में अगर दूसरे देश ने अपनी पैठ बनाई तो आगे दिक्कत हो सकती है और अमेरिका के इस निर्णय से सबसे ज्यादा फायदा टर्की, पाकिस्तान, अफगानिस्तान को होगा.

व्यवसाय से जुड़े मजदूर भी चिंतित

ऑल इंडिया कारपेट मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन के एक्जीक्यूटिव मेम्बर के एस तिवारी की माने तो उद्योग पर मार पड़ना तय है और स्टाफ कम करना पड़ रहा है. एक ओर जहां व्यवसाय पर संकट के बादल हैं, वहीं इस व्यवसाय से जुड़े मजदूर भी चिंतित हैं. खासकर वो महिलाएं जिनकी कारीगरी के काम मे हिस्सेदारी 25 प्रतिशत है वो भी परेशान हैं. क्योंकि व्यवसाय कम होने के साथ ही सबसे बड़ा संकट मजदूरी पर आ रहा है.