इस देश में जुमे की नमाज न पढ़ने पर होगी 2 साल की जेल! भरना पड़ेगा 61 हजार का जुर्माना

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मलेशिया में धार्मिक कट्टरता की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया गया है. पैन-मलेशियाई इस्लामिक पार्टी (PAS) के शासन वाले तेरेंगानु राज्य ने सोमवार (18 अगस्त 2025) को घोषणा की कि जो मुस्लिम पुरुष बिना वैध कारण के जुमे की नमाज़ छोड़ देंगे, उन्हें अब दो साल तक की जेल और 3,000 रिंगित (लगभग ₹61,780) तक का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है.मलेशिया में राज्य के सूचना उपदेश और शरिया सशक्तिकरण मंत्री मुहम्मद खलील अब्दुल हादी ने कहा कि यह क़ानून मुसलमानों को याद दिलाने के लिए है कि जुमे की नमाज़ सिर्फ़ एक धार्मिक प्रतीक नहीं बल्कि अल्लाह के प्रति आज्ञाकारिता का प्रतीक है.

इससे पहले तेरेंगानु राज्य में केवल लगातार तीन जुमे की नमाज़ न पढ़ने पर सज़ा दी जाती थी. यानी अगर कोई व्यक्ति लगातार तीन बार मस्जिद नहीं जाता तो ही उसे अपराधी माना जाता था, लेकिन नए संशोधन के बाद एक बार नमाज़ न पढ़ने पर भी सज़ा मिलेगी.मलेशिया के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बदलाव चुनावी रणनीति से जुड़ा है. PAS खुद को इस्लाम का सबसे बड़ा रक्षक बताकर वोटरों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है.तेरेंगानु की आबादी लगभग 12 लाख है, जिसमें 99% से ज़्यादा लोग मलय मुसलमान हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में PAS ने सभी 32 सीटें जीतकर विधानसभा में विपक्ष को पूरी तरह ख़त्म कर दिया था.मलेशियाई वकील अजीरा अजीज ने कहा कि यह कुरान की उस शिक्षा के विपरीत है, जिसमें लिखा है कि धर्म में कोई बाध्यता नहीं है. उन्होंने सुझाव दिया कि नमाज़ के लिए जागरूकता अभियान और शिक्षा कार्यक्रम पर्याप्त हैं, इसे अपराध बनाना ज़रूरी नहीं.

त्री अनवर इब्राहिम के कार्यकाल में मलेशिया में धार्मिक रूढ़िवादिता बढ़ने की बात कही जा रही है. हाल ही में सदियों पुराने एक मंदिर को गिराकर उसकी जगह मस्जिद बनाई गई थी, जिसका उद्घाटन खुद अनवर ने किया था. तेरेंगानु का नया कानून इस बात का प्रतीक माना जा रहा है कि मलेशिया धीरे-धीरे धार्मिक कट्टरपंथ की ओर झुक रहा है.