BBAU में 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हुआ भव्य कार्यक्रमों का आयोजन

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  • बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हुआ भव्य कार्यक्रमों का आयोजन : कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने युवाओं से विकास यात्रा में सक्रिय भागीदारी का किया आह्वान
  • क्षेत्रीयता, जाति, भाषा और संप्रदाय की बेड़ियों को तोड़कर विकास के पथ पर आगे बढ़ें युवा – प्रो. राज कुमार मित्तल

बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में दिनांक 15 अगस्त को 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। कार्यक्रम की शुरुआत ध्वजारोहण एवं बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इसके पश्चात दीप प्रज्वलन एवं विश्वविद्यालय कुलगीत गायन के पश्चात विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अश्विनी कुमार सिंह द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया गया। मंच संचालन का कार्य प्रो. शिल्पी वर्मा द्वारा किया गया।
           विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय परिवार एवं समस्त देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमें उन वीर क्रांतिकारियों, स्वतंत्रता सेनानियों और देशभक्तों को नमन करना चाहिए, जिनके त्याग, बलिदान और शौर्य के कारण हमें यह अनमोल आज़ादी प्राप्त हुई। अंग्रेज़ों का मानना था कि यदि भारत स्वतंत्र भी हो जाए तो यहां के लोग मानसिक रूप से गुलाम रहेंगे और यह स्वतंत्रता लंबे समय तक नहीं टिक पाएगी, परंतु आज भारतीयों के अथक प्रयासों, कठिन परिश्रम और अटूट संकल्प के परिणामस्वरूप पूरा विश्व भारत को सकारात्मक दृष्टि से देख रहा है और यह मान चुका है कि भारत के पास विश्व का नेतृत्व करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में 4000 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और यदि हम सही दिशा में कदम बढ़ाते रहे तो 2047 तक भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। यह एक ऐसा भारत होगा जहां पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी जाएगी, समरसता के विचार को साकार किया जाएगा, महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा और समावेशी विकास के मॉडल को अपनाया जाएगा। प्रो. मित्तल ने बताया कि आज भारत न केवल कृषि उत्पादों का बड़े पैमाने पर निर्यात करता है, बल्कि दुग्ध उत्पादन में भी विश्व में प्रथम स्थान रखता है। ‘मेक इन इंडिया’ अभियान और औद्योगिकीकरण के अंतर्गत 125 से अधिक यूनिकॉर्न का निर्माण, डिजिटलाइजेशन की तेज़ प्रगति, उत्कृष्ट अंतरिक्ष उपलब्धियां, मज़बूत इंफ्रास्ट्रक्चर, बैंकिंग व बीमा क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास, ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, और IIT, AIMS, IIM, कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों की बढ़ती संख्या भारत की निरंतर प्रगति को दर्शाती है। प्रो. मित्तल ने कहा कि इन उपलब्धियों के आधार पर 2047 तक विकसित भारत का सपना पूरी तरह संभव है, बशर्ते हम सभी अपने-अपने स्तर पर इसका हिस्सा बनें, क्योंकि यही योगदान विकास की गति को और भी तीव्र करेगा। प्रो. मित्तल ने युवाओं से आह्वान किया कि वे क्षेत्रीयता, जाति, भाषा और संप्रदाय की बेड़ियों को तोड़कर विकास के पथ पर आगे बढ़ें, क्योंकि यही बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर का भी सपना था, जो हमें इसी दिशा में प्रेरित करता है। उन्होंने पाँच प्रमुख बिंदुओं पर कार्य करने की आवश्यकता बताई – विकसित भारत में सक्रिय योगदान देना, मानसिक गुलामी से पूर्णतः मुक्ति पाना, भारतीय संस्कृति एवं विरासत पर गर्व करना और उसे संरक्षित रखना, एकता के मार्ग पर चलना तथा अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहना। इन मूल्यों पर अमल करने से ही समाज में समरसता, समानता और समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि शिक्षा ही सामाजिक परिवर्तन का सबसे सशक्त माध्यम है, इसलिए हमें शिक्षा को आधार बनाकर विभिन्न वर्गों के साथ संवाद स्थापित करना और समस्याओं के समाधान के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हमें ऐसे शोध को बढ़ावा देना चाहिए जो समाज के लिए उपयोगी हो, क्योंकि हमारे आसपास का समाज ही एक जीवंत प्रयोगशाला के समान है, जिससे सीखकर हम वास्तविक और स्थायी बदलाव ला सकते हैं। अंत में, उन्होंने विकसित भारत के निर्माण में उद्यमिता, स्टार्टअप और कौशल विकास की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसी उद्देश्य से विश्वविद्यालय में क्रिएटिविटी क्लब, पैशन क्लब और विभिन्न सोसायटियों की स्थापना की जाएगी, ताकि छात्र-छात्राएं अपनी प्रतिभा, कौशल और नवाचार को सही दिशा में प्रयोग कर सकें और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा सकें।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की ओर मंच पर उपस्थित एवं विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले एवं‌ अद्वितीय परिवर्तन लाने वाले 12 परिवर्तनकर्ताओं को स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र एवं शॉल भेंट करके सम्मानित किया गया। इन सामाजिक परिवर्तनकर्ताओं में ईश्वर चाइल्ड वेलफेयर फाउण्डेशन की संस्थापक श्रीमती सपना उपाध्याय को कैंसर पीड़ित बच्चों के इलाज, देखभाल और अन्य सामाजिक कार्यों हेतु, पद्मश्री राम सरन वर्मा को कृषि के क्षेत्र में नयी तकनीकों और जैविक खेती के प्रचार-प्रसार द्वारा किसानों के हित में एवं उनकी जीविकोपार्जन के क्षेत्र में किये गये कार्यों, श्री कुंवर शशांक को उद्यमिता विकास के क्षेत्र में दिये गये योगदान, श्री लालमणि कश्यप को महिला सशक्तिकरण, खेलकूद एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में किये गये सामाजिक कार्यों, सेवानिवृत्त मेजर जनरल ए.के. चतुर्वेदी को रक्षा एवं राष्ट्र निर्माण में दी गयी अपनी सेवा, श्री तपन‌ कुमार विस्वास को प्राकृतिक खेती, पर्यावरण एवं जल संरक्षण के लिए किये गये सामाजिक कार्यों, श्री भूपेन्द्र सिंह को थारू जनजाति के विकास में किये गये कार्यों, श्री प्रतीक अग्रवाल को वनटांगिया एवं थारू जनजाति के विकास में दिये गये योगदान, श्री शरद जैन को रक्षा उपकरणों के स्वदेशीकरण, सीएसआईआर-भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के निदेशक प्रो. आलोक धवन एवं सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के निदेशक श्री अजीत कुमार शासनी को विज्ञान, शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में एवं श्री मनोज कुमार शुक्ला को नवाचार एवं उद्यमिता विकास के क्षेत्र में किये गये उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर स्वतंत्रता दिवस से संबंधित घटनाओं और भारतीय शौर्य गाथा से जुड़ी तस्वीरों की प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। साथ ही विश्वविद्यालय के शिक्षकों, गैर शिक्षण कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में तिरंगा यात्रा निकाली गई। इसके अतिरिक्त विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे नृत्य एवं गायन की प्रस्तुति दी गयी एवं विश्वविद्यालय पर आधारित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग भी की गयी। कार्यक्रम का समापन मिष्ठान वितरण के साथ हुआ।
अंत में डॉ. राजश्री ने धन्यवाद ज्ञापित किया।इस अवसर पर विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।