आर्यकुल ग्रुप ऑफ़ कॉलेज में मनाया गया गया ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस’

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  • ‘पत्रकारिता में एआई के दखल’ पर हुई विद्यार्थियों में भाषण प्रतियोगिता

‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस’ मनाने का उद्देश्य सदैव से प्रेस की स्वतंत्रता के महत्व को उजागर करना और पत्रकारों पर हो रहे हमलों व उनके अधिकारों की रक्षा करना रहा है। इसी उद्देश्य को लेकर आर्यकुल ग्रुप ऑफ़ कॉलेज के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा आयोजित ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस’ के अवसर पर विद्यार्थियों के बीच भाषण प्रतियोगिता हुई. इस वर्ष की थीम ‘बहादुर नई दुनिया में रिपोर्टिंग – प्रेस स्वतंत्रता और मीडिया पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रभाव’ थी। इसी से संबंधित विषय ‘एआई एवं पत्रकारिता के भविष्य’ पर विद्यार्थियों में भाषण प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा इस प्रतियोगिता में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया गया। कुछ छात्रों ने विषय के पक्ष में तथा कुछ ने विपक्ष में भाषण के माध्यम से अपनी राय रखी। उनके वक्तव्यों से यह स्पष्ट हो रहा था कि विद्यार्थी एआई एवं पत्रकारिता को लेकर कितने सजग एवं जागरूक हैं।

भाषण प्रतियोगिता के पश्चात् एक छोटी सी वाद-विवाद प्रतियोगिता भी हुई, जिसमें विद्यार्थियों ने अपने-अपने विचार रखे। अपने भाषणों में विद्यार्थियों ने इस दिन के इतिहास को भी चिन्हित किया। उन्होंने बताया कि सबसे पहले इसे 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा घोषित किया गया था, जिसकी प्रेरणा 1991 में नामीबिया की राजधानी विंडहोक में हुई एक यूनेस्को की बैठक से मिली। इस बैठक में “विंडहोक घोषणा” को अपनाया गया, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि स्वतंत्र, निष्पक्ष और विविध मीडिया लोकतंत्र और मानव अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है।

कार्यक्रम का संचालन पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के लेक्चरर अभिषेक राय ने किया। प्रतियोगिता में निर्णायक की भूमिका में डॉ. रेखा सिंह एवं डॉ. माधुरी शुक्ला थीं, जिन्होंने पूरी निष्पक्षता से विद्यार्थियों की प्रस्तुति का आंकलन किया। इस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान बीजेएमसी द्वितीय वर्ष के छात्र विनय प्रजापति ने अर्जित किया। वहीं द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर क्रमशः बीजेएमसी द्वितीय वर्ष की छात्रा आयुषी चौबे एवं बीजेएमसी प्रथम वर्ष की छात्रा सृष्टि सिंह रहीं।

प्रतियोगिता के समापन में डॉ. रेखा सिंह एवं डॉ माधुरी शुक्ला ने छात्रों के प्रयासों की प्रशंसा की। साथ ही उन्हें पूरी तरह से एआई पर निर्भर न रहने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि एआई का इस्तेमाल एक सीमा तक ही अच्छा है, परन्तु यदि आपने पूरी तरह से स्वयं को एआई के सुपुर्द कर दिया, तो ये आपकी रचनात्मकता को तो प्रभावित करेगा ही, साथ ही आपको मानसिक रूप से भी अपंग बना देगा।
कार्यक्रम में बच्चों की हौसला अफ़ज़ाई के लिए शिक्षा विभाग की उप-निदेशिका डॉ. अंकिता अग्रवाल, डॉ. रेखा सिंह, डॉ. माधुरी शुक्ला, विनीता दीक्षित, देवेंद्र सिंह एवं अभिषेक राय उपस्थित थे।