हिंदू नहीं, सिखों ने छेड़ा था राम मंदिर का आंदोलन, 14 दिनों तक बाबरी मस्जिद पर रखा था कब्जा

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(www.arya-tv.com) लखनऊः क्या आपको पता है कि राम मंदिर आंदोलन किसी हिंदू ने नहीं बल्कि सिखों ने छेड़ा था. इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में माना था कि मस्जिद की जगह पर पहले मंदिर ही थी. इसका खुलासा किया है देश के जाने-माने इतिहासकार डॉ. रवि भट्ट ने, उन्होंने बताया कि गुरु नानक जब हरिद्वार से पुरी की ओर जा रहे थे तो वह अयोध्या में रुके थे. उन्होंने राम मंदिर में जाकर दर्शन भी किया था और वहां पर मौजूद एक पेड़ के नीचे तपस्या भी की थी. वो सबूत आज भी वहां पर मौजूद हैं.

इसके अलावा गुरु गोविंद सिंह और गुरु तेग बहादुर भी अयोध्या जा चुके हैं और उन्होंने भी वहां मंदिर में दर्शन किए थे. इसके बाद बात शुरू होती है 1526 में बाबर हिंदुस्तान आया था और 1528 में उसके आदेश पर उसके असिस्टेंट मीर ने अयोध्या में मस्जिद को ध्वस्त करके मस्जिद बनवाई थी. 1556 में हिंदू और मुसलमानों के बीच वहां पर मंदिर और मस्जिद को लेकर विवाद हुआ था. फिर 1858 में पहली बार सिखों का जत्था था. जिसे ‘निहंग सिख’ कहते हैं, उनके प्रमुख बाबा फकीर सिंह खालसा ने नवंबर के महीने में अपने 25 साथियों के साथ बाबरी मस्जिद में प्रवेश करके वहां कब्जा कर लिया था. 14 दिन तक उन्होंने कब्जा कर रखा था और इस दौरान बाबा फकीर सिंह खालसा ने मस्जिद में प्रवेश करते ही गुरु गोविंद सिंह के नारे तो लगाए ही थे साथ में राम के भी जयकारे लगाए थे और पूरी दीवारों पर उन्होंने राम नाम लिख दिया था.

बाबा फकीर सिंह खालसा ने किया था हवन
डॉ. रवि भट्ट ने बताया कि मस्जिद में प्रवेश करने के बाद निहंग सिख बाबा फकीर सिंह खालसा ने मस्जिद में एक गड्ढा खोदकर वहां पर हवन कुंड बनाया था और हवन किया था. इस दौरान उनके 25 साथी मस्जिद के बाहर पहरा दे रहे थे. यही नहीं बाबा फकीर सिंह खालसा ने वहां पर प्रभु श्री राम की एक तस्वीर भी लगा दी थी.

सिखों के खिलाफ दर्ज हुई थी एफआईआर
इतिहासकार डॉ. रवि भट्ट ने बताया कि 28 नवंबर को पहली एफआईआर दर्ज की थी. उस वक्त अवध का थानेदार शीतल दुबे उसने सिखों के खिलाफ पहली एफआईआर दर्ज की थी. इसके बाद सिखों को एक नोटिस दिया गया था कि मस्जिद से वो बाहर निकल जाएं फिर सिख बाहर तो आ गए थे. लेकिन मस्जिद के बाहर ही दो साल तक डटे रहे थे और जब भी मस्जिद में अजान होती थी तो सभी सिख मिलकर शंख बजाते थे.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश में है सारी जानकारी
इतिहासकार ने बताया कि यह जो पूरी जानकारी उन्होंने दी है असल में यह सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश में भी लिखी हुई है जब उन्होंने माना था कि मस्जिद की जगह पर मंदिर था. उसी के आधार पर आज मंदिर बन रहा है.