दिल्‍ली से मुंबई का किराया हुआ 5 गुना, फिर बेकाबू होने लगे एयरफेयर, यह है एयरलाइंस का पूरा खेल

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(www.arya-tv.com) दिल्‍ली से मुंबई का एयरफेयर करीब 5 गुना हो गया है. अभी तक दिल्‍ली से मुंबई जाने के लिए जहां करीब 5 हजार रुपए खर्च करने पड़ते थे, वहीं अब इस सेक्‍टर का किराया करीब 27 हजार तक पहुंच गया है. यह सिर्फ दिल्‍ली से मुंबई सेक्‍टर की बात नहीं, बल्कि दिल्‍ली से दूसरे गंतव्‍यों के लिए भी हवाई किराया लगभग आसमान छूने लगा है. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि एयरफेयर की इस बढ़ोत्‍तरी के पीछे क्‍या वजहें हैं? ये वजहें जायज हैं या फिर इन बढ़े हुए हवाई किरायों के पीछे एयरलाइंस का कोई खेल है.

पहले समझते हैं कि एयरलाइंस द्वारा किरायों की बढ़ोत्‍तरी को लेकर एविएशन मिनिस्‍ट्री का क्‍या कहना है. बीते दिनों, नागर विमानन राज्‍यमंत्री डॉ. वीके सिंह ने राज्‍यसभा में अपने लिखित जवाब में बताया था कि एयर कॉरपोरेशन एक्‍ट लागू होने के बाद मार्च 1994 से सरकार का किराए के निर्धारण में दखल समाप्‍त हो गया है. एयरक्राफ्ट रूल्‍स 1937 में सभी शिड्यूल्‍ड एयरलाइंस को यह अधिकार दिया गया है कि वह परिचालन लागत और अपनी विशेष सेवाओं के आधार पर अपना किराया निर्धारित कर सकती हैं.

इस बाबत, जनरल वीके सिंह का कहना है कि किराया डिमांड और सप्‍लाई के सिंद्धांत के आधार पर तय होता है. एयर फेयर फ्लाइट में उपलब्‍ध सीटों, ईंधन की कीमत, संबंधित रूट पर एयरक्राफ्ट ऑपरेशन कैपेसिटी, एयरलाइंस के बीच प्रतिस्पर्धा के अलावा मौसम, छुट्टियों, त्यौहार, सहित कई अन्‍य बातों पर भी निर्धर करता है. यात्री एडवांस बुकिंग के जरिए कम कीमतों पर एयर टिकट बुक कर सकते हैं. जैसे-जैसे यात्रा का समय नजदीक आता है, एयरफेयर उपलब्‍ध सीटों के आधार पर मंहगा होता जाता है.

एयरफेयर पर नजर रखने के लिए बनाया गया था टीएमयू
उल्‍लेखनीय है कि कोई भी एयरलाइंस किसी भी सेक्‍टर में ऑपरेशन शुरू करने से पहले अपने न्‍यूनतम और अधिकतम किराए की जानकारी नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) को देती है. एयरलाइंस के इन किरायों पर नजर रखने के लिए डीजीसीए में टैरिफ मॉनिटरिंग यूनिट (टीएमयू) भी है. इस यूनिट का काम है वह एयरलाइंस की वेबसाइट पर उपलब्‍ध किरायों पर नजर रखें और यह सुनिश्चित करे कि एयरलाइंस द्वारा घोषित सीमा के बाहर हवाई किराया तो नहीं वसूला जा रहा है.

प्रतिस्‍पर्धा में कमी और ATF की बढ़ती कीमतें भी है बड़ी वजह
वहीं इस बाबत, स्‍टार एयर कंसल्‍टेंसी के चेयरमैन और वायुदूत एयरलाइंस के पूर्व सीईओ हर्षवर्धन का कहना है कि बीते कुछ वर्षों में कई एयरलाइंस बाजार से बाहर चली गई हैं. ऐसे में, एयरलाइंस के बीच यात्रियों को लेकर होने वाली प्रतिस्‍पर्धा लगभग न के बराबर हो गई है. इसके अलावा, बाजार से एयरलाइंस जाने की वजह से सीटों की उपलब्‍ध भी कम हुई है और मांग तेजी से बढ़ी है, नतीजतन एयरफेयर में तेजी से उछाल आया है.

उन्‍होंने बताया कि सितंबर 2023 में जेट फ्यूल, जिसे एयर टर्बाइन फ्यूल भी कहा जाता है, उसमें 14 फीसदी की बढ़ोत्‍तरी हुई है. इस बढ़ोत्‍तरी के बाद दिल्‍ली में जेट फ्यूल की कीमत करीब 1.12लाख प्रतिकिलो लीटर तक पहुंच गई है. इस बढ़ी हुई कीमतों की वजह से एयरलाइंस की ऑपरेशन कॉस्ट भी बढ़ गई है, जिसकी वजह से लगभग सभी एयरलाइंस ने अपने सभी सेक्‍टर्स के एयरफेयर में बढ़ोत्‍तरी की है.