दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- पीएमएलए के केस में अपनी मर्जी से किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकती ईडी, नियंत्रित हैं शक्तियां

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(www.arya-tv.com) दिल्ली हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा है कि न तो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को असीमित ताकत मिली हुई है और न ही उसके अधिकारियों के पास अपनी इच्छानुसार गिरफ्तारी का अधिकार है. हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 19 के तहत किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने को लेकर की है. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि ईडी के पास पीएमएलए की धारा 19 के तहत गिरफ्तारी की शक्ति है, लेकिन यह भी अनियंत्रित शक्ति नहीं है.

न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने कहा कि किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले एजेंसी को तीन गुना आवश्यकताओं का पालन करना होगा. सबसे पहले निदेशक को उचित विश्वास होना चाहिए कि गिरफ्तार किया गया व्यक्ति पीएमएलए के तहत अपराध का दोषी है, न कि किसी अन्य अधिनियम के तहत. दूसरा, ऐसे विश्वास के कारणों को लिखित रूप में दर्ज किया जाना चाहिए. तीसरा, ऐसा विश्वास उस सामग्री पर आधारित होना चाहिए, जो निदेशक के पास है.

न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने कहा कि ईडी की गिरफ्तारी की आशंका वाला व्यक्ति अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकता है, भले ही उसे प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) या अभियोजन शिकायत में आरोपी के रूप में नामित नहीं किया गया हो.

जानें क्या है मामला
हाईकोर्ट आशीष मित्तल ओर से एडुकॉम्प मामले में ईसीआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था. आशीष मित्तल ने यह निर्देश देने की मांग की थी कि ईडी को उनकी स्वतंत्रता को कम करने के लिए उनके खिलाफ कोई भी कठोर कदम उठाने से रोका जाए. उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की प्रबल आशंका है कि उन्हें ईडी की ओर से अवैध रूप से हिरासत में लिया जाएगा या गिरफ्तार किया जाएगा. साथ ही उन्हें कंपनी के मुख्य प्रवर्तकों-कथित मुख्य लाभार्थियों के हितों की रक्षा के लिए बलि का बकरा बनाया जाएगा.