(www.arya-tv.com) शनिवार शाम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुख्यमंत्री ने पूरे सूबे के कामकाज की समीक्षा बैठक की थी। जिसमें कई जिलों के बड़े अफसरों को जमकर फटकार लगाई। प्रतापगढ़ के कलेक्टर IAS प्रकाश चंद्र श्रीवास्तव के काम काज से योगी इतने नाराज थे कि उनको तुरंत हटाने को कहा। रविवार को गोरखपुर जाने से पहले मुख्यमंत्री ने अपने अफसरों को फिर ताकीद की कि प्रतापगढ़ जिलाधिकारी हटा कि नहीं।
उसके कुछ घंटों बाद ही प्रकाश चंद्र श्रीवास्तव को प्रतीक्षारत कर दिया गया और 2013 बैच के आईएएस संजीव रंजन को प्रतापगढ़ का नया कलेक्टर बनाया गया है। संजीव सिद्धार्थनगर के जिलाधिकारी थे। समीक्षा बैठक में डांटे गए बाकी अफसर अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे।
आज चाहे कितनी भी बड़ी घटना हो जाए ना अफसर हटता है ना कोई कार्रवाई होती दिखती है। बड़े अफसरों का सस्पेंशन तो दूर तबादला तक नहीं होता। कल शाम की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने साफ और सख्त लहजे में हिदायत दी थी कि प्रतापगढ़ जिलाधिकारी को हटाइए, मगर बेअंदाज नौकरशाही अपने हिसाब से चल रही। अफसर मुख्यमंत्री का गुस्सा ठंडा होने का इंतजार करते हैं, ताकि मैनेज किया जा सके जबकि पहले की सरकारों में समीक्षा बैठकों का नतीजा आता था। हालांकि मुख्यमंत्री इस बार अफसरों की कारस्तानी समझ चुके थे इसलिए दोबारा तबादले के बारे में पूछा, उसके बाद रात तक उसका असर भी देखने को मिल गया मगर फिर भी कई अधिकारी अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे।
पिछली सरकारों का ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो मायावती सरकार में मुख्यमंत्री का एक आदेश सर्वोपरि होता था। उनका आदेश माना जाता था। एक घंटे के भीतर ही दूसरे अफ़सर की रवानगी लखनऊ से कर दी जाती थी। मायावती के प्रमुख सचिव रहे IAS विजय शंकर पांडे को एक गलती पर मायावती ने नाराज होकर राजस्व परिषद भेज दिया था। लेकिन ये योगी सरकार 2.O है, शायद बीते 6 सालों के साथ मुख्यमंत्री के निर्देशों को धता बताने की कला में नियुक्ति विभाग के अफसर और मुख्यमंत्री ऑफिस का पंचम तल माहिर हो चुका है।
अफसरों की लापरवाही, सरकार पर भारी
सेवा विस्तार पर चल रहे उत्तर प्रदेश के मुख्यसचिव दुर्गा शंकर मिश्रा भी ऐसे मामलों में बेपरवाह से दिखते हैं, जबकि मुख्य सचिव (CSB) सिविल सर्विसेस बोर्ड के अध्यक्ष होते हैं अर्थात् नियमतः स्थानान्तरण के विषय में अंतिम अनुमोदन/सहमति मुख्य सचिव की ही होती है।
हालांकि सूत्र बताते हैं कि व्यावहारिक रूप से मुख्य सचिव ट्रांसफर के विषयों में अपने CSB के अध्यक्ष होने की क्षमताओं का एहसास नहीं करवा पाते हैं। नियुक्ति विभाग के अपर मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री ऑफिस ही अफसरों का तबादला करते हैं। इस बार भी प्रतापगढ़ डीएम तो हटे मगर गाजियाबाद, बलिया और कन्नौज डीएम कोप का भाजन बनने से बच गए।