जब शुक्रवार को उन्हें बेटे शिवम के भारतीय क्रिकेट टीम में चुने जाने जाने की खबर लगी। यह एक पिता का जुनून और पुत्र की साधना ही तो है कि कारोबार बिक गया। आर्थिक संकट झेलने पड़े, लेकिन न पिता ने हिम्मत हारी और न शिवम को कोई चुनौती डगमगा पाई। चार साल की उम्र में घर के नौकर ने शिवम की कला पहचानी। पिता ने भी जब खेल देखा तो समझ गए कि उनका बेटा सिर्फ क्रिकेटर बनने के लिए ही पैदा हुआ है।
बिक गया जींस का कारोबार
अब पिता के सपने को ही शिवम ने अपने जीवन का ध्येय मान लिया था। घर में ही विकेट तैयार की गई, वहीं, सुबह-शाम घंटों प्रैक्टिस होती। शिवम को कोचिंग देने का जिम्मा खुद पिता राजेश ने अपने कंधों पर उठाया। बेटे के लिए खास डाइट तैयार की। ग्राउंड में उसे दौड़ना सिखाया। रात में रोज मालिश भी करते। शिवम को रोजाना 500 गेंद फेंकते, यह सिलसिला 10 साल तक चला। 10वीं तक पढ़ाई करने वाले शिवम ने अब क्रिकेट को ही सब कुछ मान लिया था। करीब 14 वर्ष की आयु में शिवम ने चंद्रकांत पंडित से कोचिंग लेना शुरू कर दिया। मुंबई में पले-बढ़े और जन्में शिवम मूलत: उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। परिवार अरसे पहले भदोही छोड़कर महाराष्ट्र का होकर रह गया। बेटे को क्रिकेटर बनाने में पिता का जींस का कारोबार बिक गया। माता माधुरी ने भी हर कदम पर पिता और बेटे का साथ निभाया। शिवम बताते हैं कि पिता ने उन्हें सफल बनाने के लिए सब कुछ कुर्बान कर दिया। दिन-रात एक कर दिया। मैंने भी खूब संघर्ष किया है। मेरे दोस्तों ने भी मेरा हौसला बढ़ाया।
लगातार पांच छक्के जड़कर पाई थी पहचान
इसके पीछे सबसे बड़ी वजह रही पिछले कुछ समय से शिवम का प्रदर्शन। हाल ही में दक्षिण अफ्रीका ए टीम के खिलाफ भारत की ए टीम के सदस्य के रूप में भी उन्होंने धमाकेदार प्रदर्शन किया था। गेंद को पूरी ताकत के साथ मैदान के बाहर पहुंचाने की क्षमता रखने वाले खब्बू बल्लेबाज शिवम का नाम सबसे पहले उस समय चर्चा में आया था जब रणजी ट्रॉफी मुकाबले में उन्होंने वडोदरा के स्वप्निल सिंह के ओवर में पांच छक्के जड़े थे। इस प्रदर्शन के आधार पर 5 करोड़ की भारी-भरकम रकम में विराट कोहली की अगुवाई वाली रॉयल चैंलेजर्स बैंगलोर ने उन्हें खरीदा था। पिछले सीजन में शिवम ने विजय हजारे ट्रॉफी में बल्ले से शानदार प्रदर्शन किया था, उन्होंने इस दौरान एक शतक भी जड़ा था। टूर्नामेंट में जड़े 15 छक्कों से उनकी छवि ऐसे बल्ले के रूप में बनी थी जो अपने आक्रामक खेल से किसी मैच का रुख बदल सकता है।
