(www.arya-tv.com) कानपुर की नॉन कोर आइटम बनाने वाली ऑर्डनेंस फैक्ट्री को रक्षा मंत्रालय ने 5 हजार करोड़ का नया ऑर्डर दिया है। अब आर्मी, नेवी और एयरफोर्स कानपुर की ऑर्डनेंस फैक्ट्री में बनी वर्दी, बुलेट प्रूफ जैकेट से लेकर पैराशूट का इस्तेमाल करेंगी।
फिलहाल किसी निजी कंपनियों से खरीद-फरोख्त नहीं होगी। कानपुर के सांसद सत्यदेव पचौरी ने बताया,”इस फैक्ट्री की माली हालत का मुद्दा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सामने रखा था। मैंने कहा कि नॉन कोर उत्पाद बनाने वाली फैक्ट्रियों के पास काम ही नहीं है। निजी कंपनियों से माल खरीदा जा रहा है। ओईएफ और पैराशूट जैसे रक्षा प्रतिष्ठान अपने अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रहे हैं। अगर कुछ नहीं किया गया, तो ये मुद्दा लोकसभा में उठाया जाएगा। इसके बाद ये बड़ा ऑर्डर ऑर्डनेंस फैक्ट्री को मिला है।”
5 साल तक फैक्ट्री के पास वर्कलोड
सांसद ने बताया,”रक्षामंत्री से बातचीत के बाद ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों की रिपोर्ट तलब की तो मामला सही पाया गया। इसके बाद उन्होंने सेना के लिए जूता-मोजा, वर्दी, टेंट और पैराशूट समेत 265 उत्पाद बनाने वाली टीसीएल और जीआईएल समूह की ऑर्डनेंस इक्यूपमेंट फैक्ट्री (ओईएफ) और ऑर्डनेंस पैराशूट फैक्ट्री (OPF) को सेना के लिए जरूरत की सामान बनाने का करीब 5 हजार करोड़ का ऑर्डर दिया है।
कंपनी के अफसरों की मानें तो इस ऑर्डर को पूरा करने में करीब 5 साल लग जाएगा। इतना बड़ा ऑर्डर देकर रक्षा मंत्री ने इन फैक्ट्रियों में जान फूंक दी है। कर्मचारियों में खुशी की लहर है।”
टीसीएल और जीआईएल का मुख्यालय कानपुर
आयुध वस्त्र निर्माणी अवाडी कानपुर, आयुध वस्त्र निर्माणी शाहजहांपुर, आयुध उपकरण निर्माणी कानपुर और आयुध उपकरण निर्माणी हजरतपुर को एक कंपनी बना दिया गया। यह सभी फैक्ट्रियां ट्रूप कंफर्ट लिमिटेड (टीसीएल) के दायरे में काम करती हैं।
जबकि जीआईएल ग्लाइडर इंडिया लिमिटेड (जीआईएल) पैराशूट फैक्ट्री है। इन सभी उत्पादों को नॉन कोर में शामिल करने के बाद यह गाइडलाइन बना दी गई थी कि सेना अब किसी भी कंपनी से नॉन कोर आइटम खरीद सकती है। इसके बाद से इन सभी फैक्ट्रियों में संकट खड़ा हो गया था। टीसीएल और जीआईएल दोनों की कंपनियों का मुख्यालय कानपुर में है।