(www.arya-tv.com) वाराणसी में श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के समीप स्थित मां अन्नपूर्णा का दरबार धनतेरस पर खोल दिया जाएगा। देवी अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा का दुर्लभ दर्शन-पूजन रविवार की भोर 4 बजे से शुरू होगा। पूरे साल में धनतेरस से अन्नकूट तक सिर्फ चार दिन ही स्वर्ण विग्रह के दर्शन मिलते हैं। यह देश का एकमात्र देवी अन्नपूर्णा का मंदिर है जहां धनतेरस से अन्नकूट तक मां का खजाना बांटा जाता है।
पुराणों के अनुसार, देवी अन्नपूर्णा तीनों लोकों की अन्न की माता हैं। मां अन्नपूर्णा ने स्वयं भोलेनाथ को भोजन कराया था। अन्नपूर्णा मंदिर में आदि शंकराचार्य ने अन्नपूर्णा स्त्रोत की रचना करने के बाद ज्ञान वैराग्य प्राप्ति की कामना की थी। यह देश का इकलौता मंदिर है जो श्रीयंत्र के आकार का है।
मंदिर से जुड़ी यह मान्यता भी है कि काशी में भीषण अकाल पड़ा था तो भगवान शिव ने मां अन्नपूर्णा का ध्यान कर उनसे भिक्षा मांगी थी। तब मां अन्नपूर्णा ने यह कहा था कि काशी में अब कोई भूखा नहीं सोएगा।
तीन देवियों की एक साथ स्वर्णमयी स्वरूप में प्रतिमा विराजमान
मंदिर के महंत शंकर पुरी के अनुसार, यह हिंदुस्तान का एक अकेला मंदिर है जहां माता अन्नपूर्णेश्वरी देवी, माता भूमि देवी और माता लक्ष्मी देवी एक साथ स्वर्णमयी स्वरूप में विराजमान हैं। उनके पास ही भोलेनाथ की चांदी की प्रतिमा है। इन तीनों देवियों के एक साथ दर्शन से सुख-समृद्धि मिलती है।
उधर, कनाडा से 108 साल बाद देवी अन्नपूर्णा की प्रतिमा पिछले साल नवंबर महीने में लाई गई थी, जिसे विश्वनाथ धाम में स्थापित किया गया था। भक्त उसका भी दर्शन कर सकेंगे और इस बार पहली बार वहां से भी खजाना वितरित किया जाएगा।
ग्रहण के कारण साढ़े पांच घंटे बंद रहेगा मंदिर
महंत शंकर पुरी ने बताया कि श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के समीप स्थित देवी अन्नपूर्णा का मंदिर बहुत प्राचीन है। मंदिर के प्रथम तल में देवी अन्नपूर्णा स्वर्णमयी स्वरूप में विराजमान हैं और उनके सामने भोले बाबा भिक्षा मांग रहे हैं। वर्षों पुरानी परंपरा है कि देवी अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन-पूजन साल में मात्र 4 दिन यानी धनतेरस से शुरू होकर प्रतिपदा तक होता है।
इस बार धनतेरस की तिथि 22 अक्टूबर शाम को शुरू हो रही है। इसलिए 23 अक्टूबर को उदया तिथि में भोर के समय 3 बजे मंदिर में पूजा शुरू होगी। 4 बजे भक्तों के लिए कपाट खोल दिए जाएंगे। भक्तों को प्रसाद स्वरूप चांदी के सिक्के दिए जाएंगे। 23 और 24 अक्टूबर को सुबह 4 बजे से रात 11 बजे तक भक्त दर्शन-पूजन करेंगे।
25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण के कारण दोपहर 2 बजे मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। मोक्ष के एक घंटे बाद रात 7:30 बजे मंदिर के कपाट फिर खोल दिए जाएंगे। 26 अक्टूबर को अन्नकूट मनाया जाएगा और देवी अन्नपूर्णा को 170 क्विंटल प्रसाद का 56 प्रकार का भोग लगाया जाएगा। उस दिन भी सुबह 4 बजे से रात 11 बजे तक दर्शन-पूजन होगा।
उधर, काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन के अनुसार, 23 अक्टूबर की भोर 4 बजे से ही धाम परिसर स्थित अन्नपूर्णा देवी के मंदिर में दर्शन-पूजन शुरू होगा। भक्तों को प्रसाद स्वरूप खजाना वितरित किया जाएगा। इसमें बाबा विश्वनाथ को भक्तों द्वारा चढ़ाए गए सिक्के शामिल रहेंगे।