(www.arya-tv.com) गोरखपुर में डाकघरों के निष्क्रिय हुए खातों से पैसों निकालकर गबन करने वाले कर्मचारियों की जांच पूरी हो गई। अब तक की जांच में इस मामले में 76 लाख रुपए का गबन पकड़ा गया है। एक साल तक चली विभागीय जांच में 33 कर्मचारियों को दोषी पाया गया है। इसमें डाक सहायक पद पर तैनात 8 कर्मचारियों को विभाग ने मुख्य दोषी माना है। जबकि, 5 को सहदोषी और 20 कर्मचारियों को सहायक दोषी मानते हुए सभी के खिलाफ चार्जशीट जारी की गई है और अगली कार्रवाई की संस्तुति की गई है।
डेढ़ साल पहले मिली थी शिकायत
तकरीबन डेढ़ साल पहले पोस्ट मास्टर जनरल को एक अनजान पत्र से शिकायत मिली कि आपके यहां कार्यरत एक कर्मचारी निष्क्रिय खाते को फर्जी तरीके से चालू करवा कर रुपये निकाल रहा है। शिकायत को संज्ञान में लेते हुए पोस्ट मास्टर जनरल ने जांच बैठा दी। जांच में यह बात सामने आई कि प्रधान डाकघर में कार्यरत कर्मचारी के पिता का निधन वर्ष 2018 में हो गया था। बाद में उसकी मां का भी निधन हो गया। मां ही नामिनी थी।
डाककर्मी हर महीने निकाल लेता था पैसा
ऐसे में मां की मौत की जानकारी छिपाकर उसने पिता के पेंशन खाता संख्या 3473656309 को 12 मई 2020 को प्रधान डाकघर में स्थानांतरित करा लिया। तत्कालीन पोस्टमास्टर और सिस्टम मैनेजर के सहयोग से खाते को सक्रिय कराकर उसमें अपना नाम भी जुड़वा लिया। इतना ही नहीं खाते पर एटीएम कार्ड जारी करा लिया। डाककर्मी हर महीने विड्राल फार्म व ATM कार्ड के माध्यम से पेंशन निकालता रहा। जब मामला पकड़ में आया तो अफसरों ने पूछताछ भी की, लेकिन वह अपनी करतूत से मुकरता रहा।
3 डाकघरों से निकाले गए 92 लाख रुपए
वहीं, महानगर के तीन उप डाकघरों में सैकड़ों निष्क्रिय खातों से 92 लाख रुपये गायब हुए थे। इसकी जांच भी चल रही थी। इसी बीच आरोग्य मंदिर उप डाकघर से पेंशन खाते से आठ लाख रुपये गायब करने का मामला भी सामने आ गया। इन सभी मामलों में एसएसपी, डाक ने चार लिपिकों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई करते हुए कैंट थाने में मुकदमा दर्ज करवा दिया। साथ ही पोस्ट मास्टर जनरल ने विभागीय जांच बैठा दी।
यह हैं मुख्य आरोपी
जांच टीम में प्रधान डाकघर के अलावा लखनऊ और एसएसपी डॉक के कार्यालय में तैनात अधिकारियों को रखा गया। अब एक साल की जांच के बाद रिपोर्ट जांच टीम ने सौंपी है। वहीं, इस मामले के मुख्य आरोपी शैलेष सिंह, अमरजीत, पीसी पांडेय, प्रभात त्रिपाठी, गया प्रसाद, गितेश पांडेय, एमपी तिवारी हैं।
33 लोग पाए गए दोषी
प्रवर डाक अधीक्षक मनीष कुमार ने कहा कि गबन के कुछ मामलों में विभागीय जांच चल रही थी। रिपोर्ट के आधार पर 33 लोगों को अलग-अलग वर्ग का दोषी पाया गया है। सभी को चार्जशीट जारी करने के साथ ही उनसे पक्ष लिया जाएगा। संबंधित पर नियमानुसार कार्रवाई होगी।