असल जीवन में महिला सशक्तिकरण की मिसाल हैं 58 साल की गौरी चंद्रशेखर नाइक

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कर्नाटक के सिरसी की रहने वाली 58 साल की गौरी चंद्रशेखर नाइक ने जब 16 साल पहले अपने पति को खो दिया, तब लोगों ने उन्हें अकेली, बेसहारा और कमज़ोर मान लिया था; लेकिन आज वह अपने गाँव की हीरो बन चुकी हैं।
सालों तक मजदूरी कर अपने दो बच्चों की परवरिश करने वालीं गौरी ने, आंगनवाड़ी केंद्र में पानी की कमी को देखते हुए, उन्होंने अपने हाथों से, अकेले एक कुआँ खोद दिया.. जिससे कोई बच्चा प्यासा ना रहे!
गौरी खुद केवल दूसरी क्लास तक पढ़ी हैं, लेकिन वह जानती थी कि पानी के बिना बच्चों का विकास और कल्याण रुक सकते हैं। इसलिए उन्होंने बिना किसी मदद के इस ज़रूरी काम को करने का ज़िम्मा उठाया।
ये उनका पहला तारीफ-ए-काबिल काम नहीं है। कुछ साल पहले, उन्होंने अकेले ही 75 फीट गहरा कुआँ खोदा था, ताकि उनके सुपारी और केले के खेत सूखने से बच जाएं।
गौरी का हौसला बचपन से ही अलग था। जब बाकी लड़कियां ज़मीन पर खेलती थीं, तब गौरी सबसे ऊंचे पेड़ों पर चढ़ जातीं। वह ऐसी डालों से फल तोड़तीं, जिन पर लड़के भी चढ़ने से डरते थे।
आज लोग उन्हें ‘लेडी भगीरथ’ कहते हैं- एक ऐसा नाम जो उनके साहस, जज़्बे और दूसरों के लिए निस्वार्थ प्यार को दर्शाता है।
सलाम हैं ऐसी महिलाओं को जो केवल सोशल मीडिया या आंदोलनों में नहीं, बल्कि असल जीवन में महिला सशक्तिकरण की मिसाल हैं!