(www.arya-tv.com) इंडियन एयरफोर्स को फ्रांस से तीन और राफेल फाइटर जेट मिल गए। तीनों राफेल जेट ने फ्रांस से उड़ान भरने के बाद 7,364 किलोमीटर का सफर बिना रुके शाम 8 बजकर 14 मिनट पर पूरा किया। सफर पूरा होने में 8 घंटे से ज्यादा समय लगा। इस बीच, 3 बार मिड एयर री-फ्यूलिंग हुई। अंबाला एयरबेस पर तीनों को लैंड कराया गया। इंडियन एयरफोर्स ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी।
इनके आते ही भारत में राफेल की संख्या 8 हो गई। अगले 2 साल में फ्रांस सभी 36 फाइटर जेट डिलीवर करेगा। भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में 58 हजार करोड़ में 36 राफेल फाइटर जेट की डील की थी। 36 में से 30 फाइटर जेट्स होंगे और 6 ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट होंगे। ट्रेनर जेट्स टू सीटर होंगे और इनमें भी फाइटर जेट्स जैसे सभी फीचर होंगे।
हवा में ईंधन भरा गया, कोई हाल्ट नहीं
एयरफोर्स ने बताया कि, तीनों राफेल नॉन स्टॉप उड़ान के साथ भारत पहुंचे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इनके साथ हवा में फ्यूल भरने वाला फ्रांस के एयरफोर्स का स्पेशल जेट भी था। जिससे 3 बार मिड एयर री-फ्यूलिंग हुई। पिछली बार 29 जुलाई को फ्रांस से 5 राफेल भारत आए थे। तब भी हवा में ईंधन भरा गया था। हालांकि, तब पांचों राफेल ने फ्रांस के दासौ एविएशन से उड़ान भरने के बाद UAE में हाल्ट किया था। इस बार हाल्ट नहीं रहा।
परमाणु हमला करने में सक्षम है राफेल
राफेल डीएच (टू-सीटर) और राफेल ईएच (सिंगल सीटर), दोनों ही ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ कैपेबिलिटीज के साथ चौथी जनरेशन का फाइटर है। ये न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है। इस फाइटर जेट को रडार क्रॉस-सेक्शन और इन्फ्रा-रेड सिग्नेचर के साथ डिजाइन किया गया है। इसमें ग्लास कॉकपिट है। इसके साथ ही एक कम्प्यूटर सिस्टम भी है, जो पायलट को कमांड और कंट्रोल करने में मदद करता है।
100 किमी के दायरे में भी टारगेट को डिटेक्ट कर लेता है
राफेल सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) भी है, जो आसानी से जाम नहीं हो सकता। जबकि, इसमें लगा स्पेक्ट्रा लंबी दूरी के टारगेट को भी पहचान सकता है। इन सबके अलावा किसी भी खतरे की आशंका की स्थिति में इसमें लगा रडार वॉर्निंग रिसीवर, लेजर वॉर्निंग और मिसाइल एप्रोच वॉर्निंग अलर्ट हो जाता है और रडार को जाम करने से बचाता है।
विमानों को पावरफुल बनाया जा रहा
राफेल फाइटर जेट को और ज्यादा पावरफुल बनाया जा रहा है। वायुसेना इसे हैमर मिसाइल से लैस करवा रही है। इसके लिए इमरजेंसी ऑर्डर कर दिए गए थे। वायुसेना की जरूरत को देखते हुए फ्रांस के अधिकारियों ने किसी और के लिए तैयार किए गए स्टॉक में से भारत को हैमर देने का फैसला किया था।