FCI की तर्ज पर गेहूं-चावल रखने के लिए बनेंगे देश में 200O नए गोदाम, जानिए NBCC का प्लान और कब होगी शुरुआत

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(www.Arya Tv .Com) देश की बुनियादी ढांचे के विकास और उसको और गति देने के लिए नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड (NBCC) कृषि सेक्टर में भी उतरने जा रही है. एनबीसीसी, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के साथ सहकारी क्षेत्र में एक समझौता किया है, इसके तहत  दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना की शुरुआत होने वाली है. एनबीसीसी देश के अलग-अलग राज्यों में तकरीबन 2000 अनाज भंडारण गोदाम बनाएगी. लेकिन, अभी विभिन्न राज्यों के पीएसी और सहकारी बैंकों के साथ 200 अनाज गोदाम बनाने पर ही एमओयू साइन हए हैं.

एनबीसीसी के सीएमडी के. पी. महादेवस्वामी के मुताबिक, ‘एनबीसीसी बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में कार्य करती है. पहली बार एनबीसीसी देश के कृषि क्षेत्र में हाथ आजमाने जा रही है. देश में 2000 से ज्यादा अनाज गोदाम बनाए जाएंगे. पीएम मोदी से इसके उद्घाटन के लिए टाइम मांगा गया है. उम्मीद है कि 24 फरवरी को इसकी शुरुआत हो जाएगी. यह विकास और केंद्र सरकार की एक दूरदर्शी योजना का हिस्सा है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में जहां जमीनी स्तर पर किसानों को लाभ होगा.’

देश में और नए अनाज गोदाम बनेंगे
महादेवस्वामी आगे कहते हैं, ‘मई 2023 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना; को मंजूरी दी थी. इस योजना में ‘संपूर्ण-सरकारी’ दृष्टिकोण का लाभ उठाकर गोदामों, कस्टम हायरिंग सेंटर, प्रसंस्करण इकाइयों, उचित मूल्य की दुकानों आदि सहित प्राथमिक कृषि क्रेडिट सोसायटी (पीएसीएस) स्तर पर विभिन्न कृषि बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल था.’

बता दें कि पैक्स स्तर पर अलग-अलग क्षमताओं के विकेन्द्रीकृत भंडारण के निर्माण से पर्याप्त भंडारण क्षमता बनाकर खाद्यान्न की बर्बादी को कम करने के उद्देश्य से यह स्कीम लाई गई है. देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने, फसलों की संकटपूर्ण बिक्री को रोकने और किसानों को उनकी फसलों के लिए बेहतर कीमतें प्राप्त करने में सक्षम बनाने में मदद मिलेगी.पैक्स खरीद केंद्र के साथ-साथ उचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस) के रूप में भी काम करेगा, इसलिए खरीद केंद्रों तक खाद्यान्न के परिवहन और गोदामों से एफपीएस तक स्टॉक को वापस ले जाने में होने वाली लागत भी अनावश्यक हो जाएगी. इस परियोजना के पूरा होने पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में काफी मदद मिलेगी.