सिख और हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का महत्व, क्या है पूरी कहानी

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न्यूज डेस्क। कार्तिक पूर्णिंमा का महत्व सिर्फ हिंदुओं में ही नहीं बल्कि सिखों में भी है। सिख धर्म भी इस त्योहार को मनाता है। आपको बता दें कि प्रत्येक वर्ष 12 पूर्णिमाएं होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 13 हो जाती है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है।

इसे क्यों कहा जाता है त्रिपुरी पूर्णिमा
कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का इसी दिन अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से भी पूरे वर्ष स्नान करने का फल मिलता है।

पूर्णिमा तिथि पूर्णत्व की तिथि मानी जाती है। इस तिथि के स्वामी स्वयं चन्द्रदेव हैं। इस तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है।

सिख धर्म के लिए कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक पूर्ण‍िमा का महत्व सिख धर्म में भी बहुत है। माना जाता है कि इस दिन सिखों के पहले गुरु, गुरुनानक देव जी का जन्म हुआ था। इस दिवस को सिख धर्म में प्रकाशोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इसे गुरु नानक जयंती भी कहते हैं।

क्या होता है इस दिन
गुरु नानक जयंती पर गुरुद्वारों में खास पाठ का आयोजन होता है। सुबह से शाम तक की‍र्तन चलता है और गुरुद्वारों के साथ ही घरों में भी खूब रोशनी की जाती है। इसके अलावा, लंगर छकने के लिए भी भीड़ उमड़ती है।

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