(www.arya-tv.com)बिहार के सरकारी अस्पताल में मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं पर फिर से बड़ा सवाल खड़ा हुआ है. मामला जमुई जिला से जुड़ा है जहां के सदर अस्पताल में 10 महीने के बच्चे की मौत हो गई. बच्चे की मौत के बाद आक्रोशित परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया. बच्चे के शव के साथ घर की महिलाएं जहां इमरजेसी वार्ड के दरवाजे के पास फर्श पर बैठी रहीं, वहीं पुरुष डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा करते रहे.
बच्चे की मौत से भड़के परिजनों में गुस्सा के बाद मौके पर नगर थाना पुलिस और सिविल सर्जन भी इमरजेंसी वार्ड पहुंचे, जहां परिवारवालों को समझाने की कोशिश के बाद मामला शांत हुआ. जानकारी के अनुसार शहर के महिसौरी इलाके के एक 10 महीने के बच्चे रुद्र प्रताप की तबीयत बिगड़ने के बाद उसे सुबह चार बजे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बच्चे का ऑक्सीजन लेवल कम था. इमरजेंसी वार्ड में ऑक्सीजन भी था लेकिन बच्चे को ऑक्सीजन कैप नहीं लगाया जा सका.
परिजनों का आरोप है कि बच्चे को ऑक्सीजन देने और इलाज में देरी होने के कारण उसकी मौत हो गई. इस मामले में बच्चे के चाचा राजू कुमार ने बताया कि सुबह इमरजेंसी वार्ड में जब रुद्र को लाया गया तब उसका ऑक्सीजन लेवल कम था लेकिन न तो कोई ऑक्सीजन लगाया और न ही कोई डॉक्टर देखने को आया. इलाज में देरी के कारण बच्चे की मौत हो गई.
अस्पताल के उपाधीक्षक ने भी बताया कि सदर अस्पताल में पीडियाट्रिक विशेषज्ञ की तैनाती नहीं है जिसके आभाव में बच्चों का समुचित इलाज नहीं हो पाता है. इस बच्चे को सबसे पहले SNCU में रेफर किया गया था, लेकिन वहां सिर्फ 28 दिन के बच्चे को भर्ती कराया जाता है. इस बच्चे की उम्र लगभग एक साल थी. इमरजेंसी वार्ड में ऑक्सीजन तो था लेकिन दुर्भाग्यवश उसका इस्तेमाल समय पर नहीं हो सका. सदर अस्पताल में पीडियाट्रिशियन की कमी के कारण बच्चे की मौत दुर्भाग्यवश हुई है. अस्पताल उपाधीक्षक ने यह भी कहा कि फिर भी जो डॉक्टर वहां मौजूद थे, उन्हें इंटरेस्ट लेकर बच्चों का इलाज करना चाहिए था.