राज्यसभा में यूएपीए बिल पास अब संदिग्ध व्यक्ति को घोषित किया जा सकेगा आतंकी

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राज्यसभा में शुक्रवार को विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) (यूएपीए) संशोधन विधेयक वोटिंग के बाद उच्च सदन से पास हो गया है। वोटिंग के दौरान बिल के पक्ष में 147 और विपक्ष में 42 वोट पड़े। इससे पहले सरकार का पक्ष रखते हुए गृहमंत्री अमित शाह सदन में विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि कई देश आतंकवाद से पीड़ित हैं। कानून के दुरुपयोग की दलील ठीक नहीं है। 31 जुलाई 2019 तक एनआईए ने कुल 278 मामले कानून के अंतर्गत रजिस्टर किए। 204 मामलों में आरोप पत्र दायर किए गए और 54 मामलों में अब तक फैसला आया है। 54 में से 48 मामलों में सजा हुई है। सजा की दर 91 प्रतिशत है। दुनियाभर की सभी एजेंसियों में एनआईए की सजा की दर सबसे ज्यादा है।

शाह ने कहा, ‘जेहादी किस्म के केसों में 109 मामले रजिस्टर्ड किए गए। वामपंथी उग्रवाद के 27 मामले रजिस्टर्ड किए गए। नार्थ ईस्ट में अलग-अलग हत्यारे ग्रुपों के खिलाफ 47 मामले रजिस्टर्ड किए गए। खालिस्तानवादी ग्रुपों पर 14 मामले रजिस्टर्ड किए गए। जब हम किसी आतंकी गतिविधियों में लिप्त संस्था पर प्रतिबंध लगाते हैं तो उससे जुड़े लोग दूसरी संस्था खोल देते हैं और अपनी विचारधारा फैलाते रहते हैं। जब तक ऐसे लोगों को आतंकवादी नहीं घोषित करते तब तक इनके काम पर और इनके इरादे पर रोक नहीं लगाई जा सकती।’

दिग्विजय सिंह का गुस्सा जायज है

उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा के दुरुपयोग और हवाला के लिए 45 मामले दर्ज किए गए और अन्य 36 मामले दर्ज किए गए। सभी मामलों में कोर्ट के अंदर चार्जशीट की प्रक्रिया कानून के तहत हुई है। शाह ने समझौता एक्सप्रेस बम धमाके का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें जांच एजेंसी को कोई सबूत नहीं मिले। दिग्विजय का गुस्सा जायज है वह चुनाव हारे हैं। वो कह रहे हैं कि मुझे ही आतंकी घोषित कर दो। मैं उन्हें भरोसा दिलाता हूं कि आप कुछ नहीं करोगे तो कुछ नहीं होगा।

उनका कहना है कि एनआईए के तीन मामलों में किसी को सजा नहीं हुई है। इस धमाके में नकली आरोपी पकड़े गए थे। समझौता मामले में जजों को कुछ नहीं मिला। कांग्रेस की नजर और नजारा बदल गया है। आंतकवाद इंसान नहीं इंसानियत के खिलाफ है। कांगेस ने आतंकवाद को धर्म से जोड़ा है।

 दुनिया भर में एक बड़ा संदेश जाएगा

गृह मंत्री ने चर्चा के दौरान कहा, आतंकवाद के खिलाफ जो मामले एनआईए दर्ज करती है, वो जटिल प्रकार के होते हैं। इनमें साक्ष्य मिलने की संभावनाएं कम होती हैं, ये अंतराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय मामले होते हैं। दिग्विजय सिंह ने तीन केसों का नाम लेकर कहा कि एनआईए द्वारा तीनों केसों में सजा नहीं हुई। मैं बताना चाहता हूं कि इन तीनों केसों में राजनीतिक प्रतिशोध के अधार पर एक धर्म विशेष को आतंकवाद के साथ जोड़ने का प्रयास किया गया था। जब हम विपक्ष में थे तब हमने पुराने यूएपीए संशोधन का समर्थन किया था। चाहे वह 2004 हो, 2008 हो या फिर 2013 हो। हमारा मानना है कि सभी को आतंक के खिलाफ कड़े कदम का समर्थन करना चाहिए। हमारा मानना है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है। यह किसी सरकार या व्यक्ति विशेष के नहीं नहीं बल्कि मानवता के खिलाफ है।

विपक्ष की शंकाओं का निवारण करते हुए शाह ने कहा कि सरकारी एजेंसियों को इतनी शक्ति देने और उसके दुरुपयोग पर शंका व्यक्त की गई है। इस बिल के संशोधन में किसे आतंकी घोषित कर सकते हैं की पूरी व्याख्या की गई है। ऐसे ही किसी को आतंकी घोषित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि ऐसे व्यक्ति को आतंकवादी घोषित किया जा सकता है जो किसी आतंकी गतिविधियों में भाग लेता है, आतंकवाद के लिए तैयारी करने में मदद करता है, आतंकवाद को बढ़ाने की कार्ययोजना बनाता है और घोषित आतंकवादी संस्थाओं में मिला रहता है।