तीन तलाक बिल पर बोलीं सायरा बानो, मुस्लिम महिलाओं को अब मिली असली आजादी

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तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक लंबी लड़ाई लड़ने वाली काशीपुर की सायरा बानो को आखिर इंसाफ मिल ही गया। केंद्र सरकार के अथक प्रयासों के बाद राज्यसभा में तीन तलाक का बिल पारित होने से याचिकाकर्ता सायरा बेहद प्रफुल्लित हैं।
उनकी पहली प्रतिक्रिया थी कि सही मायनों में रूढ़िवादी बेड़ियों में कैद मुस्लिम महिलाओं को अब आजादी मिली है। तीन तलाक पर कानून बन जाने से यह प्रथा स्वत: ही समाप्त हो जाएगी। सायरा ने कहा कि महिलाओं को अभी हलाला और बहुर्विवाह जैसी कुप्रथा के खिलाफ भी अपनी लड़ाई जारी रखनी होगी।

आरएसटी एंड डिपो हेमपुर में कार्यरत मो. इकबाल की बेटी सायरा राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक पारित होने से बेहद उत्साहित है। इस संबंध में प्रतिक्रिया पूछे जाने पर सायरा खिलखिला उठीं।

बोलीं, मैं तो खुश हूं साथ ही पलटकर सवाल भी दागा आप लोग खुश हैं कि नहीं। कहा कि बिल पारित होने से मुस्लिम महिलाओं को शोषण से अब मुक्ति मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक को अमान्य घोषित करने के बावजूद बड़ी तादाद में तीन तलाक के मामले सामने आते रहे हैं।

स्पीड पोस्ट से भेजा था तलाक

कानून न बन पाने के चलते मुस्लिम पुरुष शरीयत की आड़ लेकर इस प्रथा का नाजायज फायदा उठाते रहे हैं। उनके दिलों में न तो अल्लाह का खौफ था और न ही लचर कानून का। बिल में सजा का प्राविधान होने से तलाक के नाम पर महिलाओं का शोषण करने वाले भयभीत होंगे और आसानी से किसी बेबस महिला के जीवन से खिलवाड़ करने का साहस नहीं जुटा सकेंगे। यह कानून भावी पीढ़ी की महिलाओं के हितों का भी संरक्षण करेगा।
तलाक का दंश झेल रही महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए इस विधेयक में ठोस प्राविधान किए जाने चाहिए। सायरा ने कहा कि कानून बनने के बाद अब कोई ई-मेल, व्हाट्सअप, मोबाइल, मैसेज या चिठ्ठी से तलाक नहीं दे सकेगा। जैसा उसके साथ गुजर चुका है।

विदित हो कि सायरा का विवाह प्रयागराज से हुआ था। पति ने स्पीड पोस्ट भेजकर उसे तलाक दिया था। इसके खिलाफ उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और फैसला उसके हक में आया। इस दौरान पिता, भाई समेत पूरा परिवार सायरा की जंग में शामिल रहा। सायरा हलाला और बहुर्विवाह प्रथा को भी प्रगतिशील समाज के लिए घातक मानती हैं। विधेयक पारित कराने के लिए सायरा ने मोदी सरकार को शुक्रिया अदा किया है।

पीड़ित मुस्लिम महिलाओं ने स्वागत किया काशीपुर तीन तलाक को लेकर राज्य सभा में बिल पारित होने का इससे पीड़ित मुस्लिम महिलाओं ने स्वागत किया है। हालांकि महिलाओं ने बिल में तलाक पीड़ित महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया है।

इन्होंने भी झेला तीन तलाक का दंश

काशीपुर निवासी शाइस्ता जसपुर के एक ब्यूटी पार्लर में काम करती हैं। उसकी एक बेटी भी है। शाइस्ता को उसके पति ने तलाक दे दिया। पुन: निकाह होने पर उसे बगैर तलाक के फिर छोड़ दिया। उनके बीच अदालत में मुकदमा चल रहा है। तीन तलाक बिल का स्वागत करते हुए शाइस्ता ने कहा कि इस अपराध के लिए सजा की अवधि और बढ़ाई जानी चाहिए थी। साथ ही पीड़िता को भरण पोषण की पर्याप्त राशि मिले, यह भी सुनिश्चित होना जरूरी है।

किठौर (मेरठ) की अफसाना को उसके पति ने फोन पर ही तलाक दे दिया। वह नर्सिंग का कोर्स कर रही है। जीविका चलाने के लिए वह एक निजी क्लीनिक में काम करती है। अफसाना का कहना है कि तलाक को लेकर ऐसे ही कठोर कानून की दरकार थी। जिससे मर्द तलाक देने से पहले सौ बार सोचने को मजबूर हो।

मोहल्ला बांसफोड़ान निवासी शहाना का विवाह 5 जनवरी 2008 को नगीना (उ. प्र) निवासी सोनू पुत्र शकील से हुआ था। वह उसे छोड़कर दिल्ली चला गया। बाद में उसने तलाक दे दिया। शहाना का कहना है कि आरोपी को कठोर दंड के अलावा तलाकशुदा महिला को पति की संपत्ति में बराबरी का हक मिलना चाहिए। ताकि उसका व बच्चों का भरण पोषण ठीक ढंग से हो सके।