जम्मू-कश्मीर में बकरीद के दिन सरकार कर रही है कर्फ्यू में ढील देने की तैयारी

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अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में शुक्रवार की नमाज और 12 अगस्त को पड़ने वाली ईद-उल-अजहा के मौके पर कर्फ्यू में ढील दी जा सकती है। इस दौरान सरकार ये जानने की कोशिश करेगी कि इस कदम से कश्मीरियों का क्या मूड है। हालांकि अभी केंद्र सरकार और राज्य प्रशासन मिलकर घाटी के हालातों पर नजर बनाए हुए हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी घाटी की जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिए वहां का दौरा किया और वहां के राज्यपाल सत्यापल मलिक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक भी की।

फिलहाल घाटी में सुरक्षा तैनाती में ढील को निर्धारित करने के लिए किसी समय सीमा का अंदाजा नहीं लगाया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि जुमे की नमाज में धारा 144 के तहत कुछ ढील दी जा सकती है।

दुकानें तथा व्यापारिक प्रतिष्ठान खुलने शुरू
बुधवार को घाटी से कई वीडियो वायरल हुए जिनमें तेजी से सुधर रहे हालात दिख रहे हैं। श्रीनगर में कुछ दुकानें खुलीं। सड़कों पर पाबंदियों के बाद भी आम लोग सड़कों पर निकले। दो पहिया वाहनों के साथ कार भी सड़कों पर दिखीं। प्रशासन की ओर से जिन परिवारों में शादियां हैं, उनके लिए अतिरिक्त प्रबंध किए जाने की खबर है। पिछले तीन दिनों से पूरे केंद्र शासित प्रदेश में स्थिति लगभग शांतिपूर्ण है। मंगलवार को पुंछ के बफलियाज इलाके में फैसले के विरोध में लोग सड़क पर उतर आए थे। उन्होंने इस दौरान पहुंची पुलिस पर पथराव कर दिया था। इसमें डीएसपी आपरेशन समेत तीन लोग घायल हो गए थे।

घाटी में सुरक्षा बलों का कड़ा पहरा
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद उत्पन्न हालात से निपटने के लिए महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, सज्जाद गनी लोन, इमरान रजा अंसारी समेत विभिन्न दलों के 550 से अधिक नेताओं व कार्यकर्ताओं को अब तक हिरासत में रखा गया है। सुरक्षा बलों की ओर से शांति के लिए खतरा का हवाला देते हुए इन्हें हिरासत में लेकर श्रीनगर के एसकेआईसीसी तथा बारामुला व गुरेज में बनाए गए केंद्रों में इन्हें रखा गया है। हालांकि, प्रशासन की ओर से हिरासत में लिए गए लोगों के बारे में अधिकृत जानकारी नहीं दी गई है।

इंटरनेट पर जारी रहेगा प्रतिबंध
जानकारी के मुताबिक बावजूद इसके इंटरनेट सेवाओं और फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध जारी रहेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इनका इस्तेमाल अलगाववादी समूह अफवाह फैलाने और स्थानीय लोगों को प्रदर्शन या फिर पत्थरबाजी करने के लिए उकसाने में कर सकते हैं। बता दें अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद से प्रतिबंधों के लागू होने के बावजूद भी श्रीनगर सहित कुछ इलाकों में पत्थरबाजी और झड़प की घटनाएं देखने को मिल रही हैं।