चालान के पैसे नहीं भरने पर महंगी होगी इंश्योरेंस पॉलिसी

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अगर कोई व्यक्ति चालान कटने के बाद भी जुर्माने की रकम को नहीं भरता है तो फिर वो बीमा प्रीमियम में जुड़ जाएगी, ताकि अगली बार बीमा कराने पर लोगों से यह रकम वसूली जा सके। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, जिन लोगों के पास कोई वाहन है और चालान हो जाने के बाद अगर वो व्यक्ति उस रकम को नहीं भरेगा, तो ऐसी राशि को बीमा प्रीमियम में जोड़ दिया जाएगा। इससे पुराने लंबित मामलों में ट्रैफिक पुलिस को रकम वसूलने में आसानी हो जाएगी। भारतीय बीमा नियामक प्राधिकरण (इरडा) ने इस योजना पर काम शुरू कर दिया है। फिलहाल इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर दिल्ली में लागू किया जाएगा।

80 फीसदी चालान हुए कम
इसे चालान की मोटी रकम का ही डर कहेंगे कि दिल्ली के लोग अब अनुशासित होने लगे हैं। पिछले छह दिन में ही दिल्ली के लोग काफी अनुशासित हुए हैं। दिल्ली में छह दिन में चालान करीब 80 फीसदी कम हो गए हैं।
दिल्ली वाले यह खुद मानते हैं, साथ ही ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों का कहना है कि चालान की भारी भरकम राशि के डर के चलते लोग अनुशासित हो रहे हैं। दूसरी तरफ शरीर पर पहने जाने वाले कैमरे के चलते अब कोई सिफारिश नहीं चल रही है।

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब चालान बहुत कम हो रहे हैं। चालान अब 80 फीसदी कम हो गए हैं। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के ग्रेटर कैलाश सर्किल के एक अधिकारी ने बताया कि उनके सर्किल में औसतन हर रोज 300 चालान होते थे।

अब हर रोज औसतन करीब 80 से 100 चालान हो रहे हैं। हौजखास सर्किल के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि उनके सर्किल में औसतन हर रोज करीब 300 चालान होते थे, अब ये संख्या घटकर करीब 150 रह गई है। नरेला सर्किल के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि उनके सर्किल में औसतन हर रोज करीब 600 चालान होते थे। अब हर रोज 150 से 200 चालान हो रहे हैं।

पुलिस अधिकारियों का मानना है कि लोगों में अब जुर्माने की भारी भरकम रकम को लेकर डर है। चालान होने पर लोगों को डर रहता है कि उन्हें मोटी रकम देने पड़ेगी। इस कारण अब लोग ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। दूसरी तरफ अब लोगों की नेताओं व पुलिस अधिकारियों की सिफारिश भी नहीं चल रही है।