(www.arya-tv.com) पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने और मनुष्य और प्रकृति के बीच खोए हुए संतुलन को पुनः स्थापित करने के लिए प्रकृति के महत्व को समझाने के उद्देश्य से आर्यकुल कॉलेज ऑफ एजुकेशन में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। पर्यावरण में सभी जीवित और निर्जीव तत्व जैसे हवा, पानी, मिट्टी, पौधे, जानवर और अन्य जीवित प्राणी शामिल हैं। हालाँकि, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और मानव जीवनशैली के लिए दुरुपयोग के कारण पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। प्रदूषित पर्यावरण जीवन जीने के लिए आवश्यक घटकों को प्रभावित करता है।
आर्यकुल ग्रुप ऑफ कॉलेज के प्रबंध निदेशक डॉ. सशक्त सिंह ने इस अवसर पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा, “पर्यावरण के बारे में जागरूकता फैलाने और प्रकृति के महत्व को समझाने के उद्देश्य से हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। ऐसे में आज आयोजित वृक्षारोपण कार्यक्रम के माध्यम से सभी को इस संबंध में जागरूक करने की यह एक छोटी सी पहल है। इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना है। प्लास्टिक कचरे की गंभीर समस्या से निपटने के लिए यह एक वैश्विक प्रतिज्ञा है।
हर साल 430 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन होता है, जिसमें से लगभग दो-तिहाई एकल उपयोग के लिए होता है और तुरंत फेंक दिया जाता है। ये अल्पकालिक उपयोग की वस्तुएं नदियों और महासागरों को प्रदूषित करती हैं, हमारी खाद्य श्रृंखलाओं में प्रवेश करती हैं और यहां तक कि माइक्रोप्लास्टिक के रूप में हमारे शरीर में जमा हो जाती हैं।” इस अवसर कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि डॉ. रुचि सिंह ने अपने संबोधन में वृक्षारोपण और वृक्ष संवर्धन पर जोर दिया और कहा, “यह केवल एक दिवस के रूप में मनाए जाने का अवसर नहीं है। वर्तमान समय में जिस ग्लोबल वार्मिंग से पूरी दुनिया जूझ रही है वह हमारे द्वारा वृक्षारोपण न करने का ही परिणाम है। इससे छुटकारा पाने का एक ही उपाय है अधिक से अधिक वृक्षारोपण और उनका रख-रखाव।”
इसी संदर्भ में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के निर्देशानुसार ‘एक पेड़ माँ के नाम’ थीम पर कॉलेज के सभी अध्यापकों एवं विद्यार्थियों ने वृक्षारोपण किया. कार्यक्रम में उपस्थित सभी छात्र छात्राओं और शिक्षकों ने यह प्रण लिया कि ना केवल इस दिन बल्कि पूरे वर्ष भर प्रकृति और पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने और लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करने के लिए समर्पित रहेंगे. इससे पता चला कि निरंतर सार्वजनिक भागीदारी, जिम्मेदार उद्योग प्रथाओं और सरकारी पहलों के साथ, भारत अपने प्लास्टिक पदचिह्न को कम करने और हरियाली की रक्षा करने के लिए दृढ़ पथ पर है। इस अवसर पर आर्यकुल कॉलेज ऑफ एजुकेशन की उपनिदेशिका डॉ. अंकिता अग्रवाल, विभागध्यक्ष प्रणव पाण्डेय, प्रोफेसर एस. सी. तिवारी, डॉ. गौरव मिश्रा, दीप्ति सिंह एवं अभिषेक राय मौजूद रहे.