कानपुर के 5 फार्मेसी कॉलेजों पर प्रतिबंध:एफिडेविड में गलत जानकारी देकर सरकार को गुमराह किया

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(www.arya-tv.com)  यूपी के 427 फार्मेसी कॉलेज ऐसे है जिन्होंने एफिडेविड में गलत जानकारी देकर सरकार को गुमराह किया था। यह बात जिले में तैनात जिलाधिकारियों की जांच में सामने आया है।इस जांच के बाद कानपुर के 5 कॉलेज ऐसे हैं, जिन्हें अब प्रवेश लेने पर प्रतिबंध कर दिया गया है। बीते दिनों कानपुर विश्वविद्यालय में हुए शिक्षा मंथन के दौरान टेक्निकल एजुकेशन मिनिस्टर आशीष पटेल ने एफिडेविट में गलत जानकारी की बात बताई थी।

उन्होंने बताया कि बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन यूपी (बीटीईयूपी) ने 427 कॉलेजों को डिबार करने को कहा है। ऐसे कॉलेज जिन्होंने सरकार से झूठ बोलकर एफिलिएशन ली है। ऐसे में यह कॉलेज लाइफ टाइम बीटीईयूपी से फार्मेसी कॉलेज चलाने के लिए NOC या एफिलिएशन नहीं ले पाएंगे।

जिले के यह कॉलेज हुए प्रतिबंधित
कानपुर जिले में केकेएलके कॉलेज ऑफ फार्मेसी कठारा, यशराज कॉलेज ऑफ फार्मेसी तात्यागंज मंधना, विराज कॉलेज ऑफ फार्मेसी, नारायण कॉलेज ऑफ फार्मेसी रतनपुर पनकी, कृष्णा फार्मेसी कॉलेज नारामऊ मंधना को प्रतिबंधित कर दिया गया है। इन कॉलेजों ने एफिडेविट में अपनी गलत जानकारी अंकित की थी, जो कि जिलाधिकारी की जांच में सामने आ गया।

1000 कॉलेजों ने ली थी NOC

साल 2022 में लगभग 1000 फार्मेसी कॉलेजों ने डीफार्मा कोर्स चलाने के लिए फार्मेसी काउंसिल के स्टैंडर्ड के आधार पर एनओसी दी गई थी। एनओसी जारी करने के बाद एफिडेविड में बताए गए स्टैंडर्ड (इंफ्रास्ट्रक्चर समेत अन्य जानकारी) की जांच कराई गई तो 427 कॉलेज अपने वादे से कहीं झूठे निकले। एफिडेविड में गलत जानकारी देने वालों पर शासन ने एक्शन लेते हुए एनओसी को कैंसिल और बीटीईयूपी से लाइफटाइम के लिए डिबार करने की बात कही है।

जिलाधिकरियों को अपने-अपने जिलें की सौंपी गई थी कमान

आशीष पटेल ने बताया, एनओसी जारी होने के बाद शासन स्तर से इसकी जांच जिलाधिकारी को सौंपी गई थी। यह लोग अपने-अपने जिले के कॉलेजों की जांच कर उसकी रिपोर्ट ऊपर भेजी गई। उस रिपोर्ट के आधार पर ही कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया, ​​​​​​एफिडेविड में गड़बड़ी की शिकायत काफी समय से मिल रही थी। जिलाधिकारी स्तर पर एफिडेविड में बताई गई बातों की फिजिकल जांच कराने पर इसका खुलासा हुआ। इससे पहले पॉलिटेक्निक प्रिंसिपल ने भी जांच की थी। अब उनकी जांच पर भी सवाल हो रहे है।

कागज में कॉलेज उरई में, हकीकत में बना कानपुर देहात में

फार्मेसी कॉलेज प्रबंधन ने सरकार को गुमराह करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी। कुछ कॉलेज ने तो ऐसा खेल किया जिसका खुलासा होने के बाद अधिकारी भी हरकत में पड़ गए। कई कॉलेज ऐसे निकले जो कानपुर देहात में कॉलेज चला रहे हैं और एफिडेविड में उरई की जमीन को दिखा रखा है। इसी तरह डिग्री या इंटर कॉलेज की जमीन को भी एफिडेविड में दिखाया गया है।

कुछ तो ऐसे भी हैं, जिन्होंने प्लाट को कॉलेज की जगह बता दिया। मौके पर निरीक्षण में वहां पर कोई बिल्डिंग ही नहीं मिली। एफिडेविड में गलत जानकारी देने वाले कॉलेजों की सोसाइटी को निरस्त करने के लिए रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटी को लेटर लिखा गया है। यह कॉलेज अब सोसाइटी पर किसी अन्य एकेडमिक इंस्टीट्यूट को भी नहीं चला पाएंगे। हालांकि इन सोसाइटी की ओर से यदि पूर्व में कोई कॉलेज चल रहा हैं तो वहां के स्टूडेंट्स के समायोजन या कोर्स पूरा कराने पर फैसला शासन स्तर पर लिया जाएगा।

अधिकारियों पर हो चुकी कार्रवाई

आशीष पटेल ने बताया, फार्मेसी कॉलेजों को एनओसी जारी करने के मामले में अभी तक दो बोर्ड सेक्रेट्री को पद से हटाया जा चुका है। साल 2022 में एनओसी जारी होने के शुरुआती दिनों में बीटीईयूपी के सेक्रेटी सुनील सोनकर को पद से हटाकर कानपुर स्थित प्राविधिक शिक्षा निदेशालय संबंद्ध किया गया था। निदेशालय से प्रधानाचार्य मुख्यालय पद पर कार्यरत एफआर खान को बोर्ड सेक्रेटी पद पर तैनात किया गया था। बीते दिनों 427 कॉलेजों के एफिडेविड में गड़बडी उजागर होने के बाद एफआर को प्रधानाचार्य मुख्यालय के पद पर वापस भेज दिया गया है।