बैल बन कंधे पर हल रखकर बेटी संग खेती करने को मजबूर है ये महिला

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नई दिल्ली: मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल जिले झाबुआ में एक महिला बैल की जगह अपने कंधे पर हल रखकर खेत जोतने के लिए मजबूर है. इस काम के लिए वह अपनी बेटी की मदद लेती है. बैल न होने के कारण खुद बैल का काम कर रही है इस महिला की ओर अब प्रशासन का ध्यान गया है. प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और जांच का आदेश दिया है. मामला झाबुआ जिले के उमर कोट का है. यहां की राम ली के पास दो बीघा जमीन है.

इस जमीन पर वह मूंगफली, मक्का, तोरई और मिर्ची उगाकर अपना और परिवार का उदर-पोषण करती है. बैल खरीदना उसके लिए संभव नहीं है, क्योंकि एक जोड़े बैल कम से कम 25 हजार रुपये में आएंगे और इतना पैसा उसके पास है नहीं. उसकी माली हालत किराए पर जोड़ा बैल लेने की भी नहीं है.

राम ली के पांच छोटे-छोटे बच्चे हैं. एक बेटी 12 साल की है, जिसकी मदद वह खेत की जुताई में लेती है. राम ली का पति रतन गुजरात के भारोब में मजदूरी करता है. जिलाधिकारी प्रबल सिपाहा ने आईएएनएस को बताया कि उनके सामने यह मामला आया है, जिसकी वह जांच करा रहे हैं.