ओवैसी के पूर्वांचल दौरे पर रहेगी नजर, 4 जिलों के कार्यकर्ताओं से करेंगे संवाद

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(www.arya-tv.com)उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अभी एक साल का वक्त बचा है लेकिन राजनीतिक दल अभी से चुनावी मोड में आ गए हैं। समय से पहले ही अपनी गोटी सेट करने की कवायद सभी दलों की ओर से जारी है। इसी कड़ी में भागीदारी संकल्प मोर्चा गठबंधन में शामिल होने के 27 दिन बाद ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी आज पुर्वांचल के दौरे पर आ रहे हैं। आज वह वाराणसी पहुंचेंगे जहां उनका स्वागत उनके साथी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री ओम प्रकाश राजभर करेंगे।

इसके बाद दोनों नेता पूर्वांचल के चार जिलों का दौरा करेंगे और कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर आगे की रणनीति बनाएंगे। वहीं जानकारों का कहना है कि ओवैसी के निशाने पर मोदी और अखिलेश का गढ़ है। गौरतलब है कि PM मोदी वाराणसी से तो अखिलेश यादव आजमगढ़ से सांसद हैं। बताते चलें कि ओवैसी वाराणसी, आजमगढ़, मऊ और जौनपुर जाएंगे।

वाराणसी में संभावना तलाशेंगे गठबंधन के खिलाड़ी

भागीदारी संकल्प मोर्चा में कुल 9 दल शामिल हैं। जिनका मुख्य उद्देश्य मुस्लिम और पिछड़ी जाति के वोटों को अपनी ओर खींचना है। सिर्फ वाराणसी की बात करे तो यहां मुस्लिम और पिछड़ी जातियां जिसकी ओर जाती है वह उम्मीदवार जीतता है। वाराणसी में 27% से ज्यादा पिछड़ी जातियां जबकि लगभग 15% मुस्लिम हैं। 2014 लोकसभा चुनावों में भाजपा से नरेंद्र मोदी ने जीतकर भगवा फहराया था जोकि 2019 में भी बरकरार रहा था। वहीं विधानसभा चुनावों की बात करे तो यहां भाजपा के बाद कांग्रेस का ही दबदबा रहा है लेकिन कांग्रेस के शिथिल होने के बाद सपा और बसपा कांग्रेस के वोट बैंक को हथिया कर कुछ कम ज्यादा सीटें निकालते रहे हैं

आजमगढ़ में सपा है गठबंधन के टारगेट पर

20 फीसदी से ज्यादा पिछड़ी जाति और 16 फीसदी मुस्लिम बाहुल्य वाले आजमगढ़ में भी ओवैसी दौरा कर अखिलेश के वोट बैंक की गहराई नापेंगे। जानकार मानते हैं कि ओवैसी और राजभर समेत जो छोटी छोटी पार्टियां है उ का अपने क्षेत्र विशेष में थोड़ा बहुत प्रभाव है ऐसे में वह सबसे ज्यादा मुस्लिम और पिछड़ी जाति के गठजोड़ की वजह से सपा को नुकसान पहुंचा सकती है।

हालांकि आजमगढ़ लोकसभा सीट सपा का मजबूत किला रहा है। यहां से मुलायम भी जीते और अखिलेश भी जीते। यही नही 1996 से 2019 तक सिर्फ एक बार भाजपा और एक बार उपचुनावों में बसपा कैंडिडेट ने जीत दर्ज की है। विधानसभा चुनावों की बात करें तो विधानसभा की दस सीटें हैं।