करोड़ों की फीस लेने वाले यह कलाकार आखिर ऐसा क्या दिखाते हैं

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(www.arya-tv.com) समाचार पत्र पलटते निगाह अचानक एक खबर पर गई जिसमें एक फिल्म में काम करने के एवज एक बड़े कलाकार को एक अरब 30 करोड़ की फीस प्रोड्यूसर के द्वारा दी गई!
मन में अचानक यह सवाल उठा  की यह बड़े कलाकार फिल्म मैं ऐसा क्या बड़ा काम करते हैं जिसकी एवज में उन्हें इतनी फीस दी जाती है एनएसडी पास आउट पूरी तरह से मज कर निकले अनेक कलाकार फीस के नाम पर लाखों में निपट कर रह जाते है यही काम जब बड़े कलाकारों को मिलता है तो उन्हें करोड़ों में फीस  अदा की जाती है जो इन छोटे कलाकारों के मन में यह सवाल पैदा करती है कि आखिर करोड़ों की फीस लेने वाले यह कलाकार आखिर ऐसा क्या दिखाते हैं जो वह नहीं दिखा सकते
एक अरब  30करोड़ में  एक नहीं कई फिल्मों का निर्माण किया जा सकता है फिल्म निर्माण एक उद्योग है जिसे फिल्म इंडस्ट्री कहा जाता है यह फिल्म इंडस्ट्री पैसों की चकाचौंध से भरपूर है जिसकी रोशनी की चमक में अनेक युवक और युवतियां मुंबई की तरफ खींचे चले आते हैं इस आशा से कि उन्हें भी फिल्मों में काम मिलेगा और उसके एवज में अच्छी फीस मिलेगी किंतु यहां आकर उन्हें पता लगता है  कीयह फिल्म इंडस्ट्री जैसी दिखती है वैसी है नहीं ! यहां सिर्फ व्यापार होता है शुद्ध व्यापार! हर कोई सिर्फ अपना  मुनाफा देखता है! कला की सेवा और शुद्ध मनोरंजन देने जैसी कोई भावना नहीं होती यहां अच्छे से अच्छे कलाकार  जिन्हें बीएफ फिल्म इंडस्ट्री एक्सेप्ट नहीं करती फुटपाथ  केऊपर सोते हैं हीरोइन बनने की लालसा मैं घरों से भाग कर आई कई लड़कियां जिस्म के बाजार में उतर जाती है नेपोटिज्म कास्टिंग काउच जैसे शब्द फिल्म इंडस्ट्री के लिए  नए नहीं है! यहां जो दिखता है वही बिकता  है सोशल मीडिया के  इस दौर में यूट्यूब पर फेसबुक पर किसी हीरो या हीरोइन विशेष के कितने फॉलोअर्स है उसकी फीस का निर्धारण उस आधार पर होता है करोड़ों फॉलोअर्स रखने वाले चेहरों को करोड़ों में फीस मिलती है जबकि टैलेंट से भरे अनेक लोग जीवन यापन के लिए संघर्ष करते रहते हैं!
मन मे  चल रहे इन्हीं सवालों का जवाब ढूंढने के लिए हमने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कुछ नामचीन कलाकारों से बात की
  विक्रम बिष्ट..

विक्रमबिष्ट का नाम गढ़वाली फिल्म इंडस्ट्री के लिए नया नहीं है अनेक गढ़वाली फिल्मों में अपनी अभिनय प्रतिभा का लोहा मनवा चुके विक्रम बिष्ट ने फीस के सवाल पर बताया कि यह सब कुछ निर्माता के ऊपर निर्भर रहता है कि जिस कलाकार को वह अनुबंधित करना चाहता है वह कितने पैसे मांग रहा है और उसकी फॉलोअर्स लिस्ट कितनी है! विक्रम कहते हैं आर्टिस्ट जो पैसा मांगता है उस राशि का अनुबंध निर्माताको करना पड़ता है क्योंकि उस कलाकार को लोग देखना चाहते हैं उसका नाम एचडी फिल्म इंडस्ट्री में जाना पहचाना है उसका चेहरा लोगों को याद रह गया है इसीलिए उसके फॉलोअर्स उसे देखने के लिए टिकट खरीद कर सिनेमा हालों में जाते हैं! कलाकारों को अपनी स्टारडम का पता है और जब अगला देने को तैयार है तो वह क्यों ना ले
विवेक प्रकाश..

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और टीवी धारावाहिकों के लिए संगीतकार गायक विवेक प्रकाश का नाम नया नहीं कई सालों से कई फिल्मों में विवेक प्रकाश अपना संगीत दे चुके हैं और हिंदी फिल्म जगत से नजदीक का रिश्ता रखते हैं विवेक के अनुसार निर्माता को यह पता होता है कि किसी ख़ास चेहरे को लेने से उसे क्या फायदा होगा । फिल्म कितना बिजनेस करेगी । निर्माताओं की ये मजबूरी भी होती है कि वह किसी भी कीमत पर उसी कलाकार को साइन करें जिससे उनका काम ऊंचे दामों पर बिक सके उनके चैनल की टीआरपी बढ़ सके तो वह उन कलाकारों की डेट्स का इंतजार करते हैं मुंह मांगी कीमत देकर उन्हें मौका देते हैं कभी कभी अंदाजा गलत भी निकलता है इस अंधे व्यापार में कब क्या होगा कोई नहीं जानता पर अच्छे की आशा में वह अपना समय और पैसा कहां पर लगाता है यह निर्माता पर भारीपड़ेगा या उसे मालामाल कर देगा यह कोई नहीं जानता परंतु यह निर्माताओं की मजबूरी होती है
सिद्धार्थ नागर..
प्रसिद्ध साहित्यकार अमृतलाल नागर जी के परिवार से संबंध रखने वाले लगभग 40 से अधिक दूरदर्शन धारावाहिक . का निर्माण कर चुके सिद्धार्थ नागर ने लखनऊ के अनेक कलाकारों को फिल्म इंडस्ट्री मेंस्थापित किया है! सिद्धार्थ ने अनेक फिल्में भी बनाई है उनका कहना है यह तो बड़े हर्ष की बात है की हिंदी फिल्म इंडस्ट्री इतनी बड़ी राशियों के भुगतान में समर्थ हो सकी है इससे अच्छा क्या हो सकता है
अपने समय के सुपरस्टार राजेश खन्ना जी को एक दूरदर्शन धारावाहिक के लिए हर एपिसोड ₹100000 देने वाले सिद्धार्थ कहते हैं कलाकार को मिलने वाली फीस मैं बहुत कुछ जुड़ा होता है जिसमें प्रोमो का निर्माण और उसका वर्चुअल सपोर्ट शो चैनल पर उपस्थिति और विज्ञापन इत्यादि शामिल होते हैं यदि . . फीस को देखा जाए तो वह केवल अभिनय की फीस नहीं होती उसमें सबकुछ जुड़ा रहता है
यह तो कलाकार के ऊपर निर्भर करता है कि वह कितनी फीस मांग रहा है कई बार तो कई कलाकार बिना फीस के भी काम कर देते हैं हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का दायरा पूरे विश्व में फैल चुका है बड़ी फीस मांगने वाले कलाकारों को देखने के लिए विदेशों में भी अच्छा खासा बाजार है अब समझौतों का जमाना नहीं रहा और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री दिन पर दिन व्यापारिक होती जा रही है किससे किसको कितना फायदा मिलेगा यह एक पूरा गणित है !

डॉक्टर अनिल रस्तोगी..
  आश्रम  और रक्तांचल  जैसे विख्यात धारावाहिकों में अपनी अभिनय प्रतिभा का लोहा मनवा चुके लखनऊ के ही डॉक्टर अनिल रस्तोगी का मानना है किसी कलाकार को मिलने वाली फीस उसके ओवरऑल परफारमेंस से निर्धारित होती है एक  कम क्वालिफाइड किंतु जाने-माने अभिनेताओं को आउटडेटेड अभिनेताओं से ज्यादा पैसा मिल सकता है यह  उस  निर्माता की जरूरत पर निर्भर करता है जब भी किसी  फिल्म या धारावाहिक का निर्माण होता है तो निर्देशक और निर्माता अपनी जरूरत की स्टार कास्ट को लेकर एक मीटिंग करते हैं  निर्देशक यदि किसी नाम को लेकर  सख्त हो जाता है तो निर्माता को उसे ही साइन करना पड़ता है चाहे वह कितना भी महंगा क्यों ना हो ! उन्होंने बताया कि कैसे ₹12000 में उन्हें ना अनुबंधित कर ₹3000 में किसी छोटे कलाकार को अनुबंधित कर लिया गया और उससे ही अभिनय करवा लिया गया अक्सर या बड़ी राशियां तभी दी जाती है जब सामने कोई दूसरा विकल्प ना हो!