(AryaTv : Lucknow) Dipti
हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा को अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि माना गया है। शरद पूर्णिमा हिन्दू कैलेंडर के अनुसार बहुत ही खास होती है। शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस रात चंद्रमा अपने चरम पर रहता है. इस रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होता है। चंद्रमा की इन कलाओं के नाम अमृत, मनदा, पुष्प, पुष्टि, तुष्टि, ध्रुति, शाशनी, चंद्रिका, कांति, ज्योत्सना, श्री, प्रीति, अंगदा, पूर्ण, पूर्णामृत और अमा है। जिस व्यक्ति पर इन 16 कलाओं को पूरा प्रभाव होता है वो पूर्ण हो जाता है। मतलब उस व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और हर तरह का सुख मिल जाता है। चंद्रमा से मिलने वाले सुखों को प्राप्त करने के लिए खीर बनाकर रात में छत पर खुले स्थान में चंद्रमा की चांदनी में रखते हैं ताकि खीर में सभी कलाओं का प्रभाव रहे। उसके बाद सुबह जल्दी उस खीर को खाया जाता है।
इस कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए
- इस दिन पूरी तरह उपवास रखने की कोशिश करें।
- उपवास या व्रत नहीं रख पाएं तो सात्विक भोजन ही करना चाहिए यानि मिर्च-मसाला, लहसुन, प्याज, मांसाहार और शराब से पूरी तरह दूर ही रहें।
- शरीर शुद्ध रहेगा तो आपको अमृत तत्व की प्राप्ति हो पाएगी।
- इस दिन काले रंग का प्रयोग करने से भी बचें।
- चमकदार सफ़ेद रंग के वस्त्र धारण करें तो ज्यादा अच्छा होगा।
इस दिन क्या करना चाहिए
- सूर्यास्त होने से पहले नहा लें और गाय के दूध में केसर, ड्रायफ्रूट्स के साथ ही अन्य औषधियों का उपयोग करके खीर बनाएं।
- भगवान को खीर का भोग लगाएं और भागवान की पूजा करें।
- मध्य रात्रि में जब चंद्रमा अपने चरम पर रहे, तब चंद्र देव को प्रणाम करें और खीर को चंद्रमा की रौशनी में रख दें।
- खीर को मिट्टी या चांदी के बर्तन में ही रखें।
- इसके बाद सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहाएं और चंद्रमा के साथ भगवान को प्रणाम करें और प्रसाद मान कर उस खीर को परिवार के साथ खाएं।