पराली जलाने वाले किसान हो जाएं सावधान, वरना होगी कड़ी कार्रवाई, भरना पड़ेगा भारी जुर्माना

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(www.arya-tv.com)   पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ एवं अन्य जिलों से ताल्लुक रखने वाले जो भी किसान अगर अपने खेत में पराली जला रहे हैं, तो ऐसे सभी किसान अब सावधान हो जाएं. क्योंकि उत्तर प्रदेश शासन के दिशा निर्देश के अनुसार मेरठ मंडल उप कृषि निदेशक नीलेश चौरसिया द्वारा पत्र जारी करते हुए कहा है कि जो भी किसान पराली जलाते हुए मिलेंगे. ऐसे सभी किसानों पर नियमों के अनुरूप विधिक कार्रवाई के साथ जुर्माना भी लगाया जाएगा.

इस तरह कर सकते हैं खेतों की कटाई

उप कृषि निदेशक नीलेश चौरसिया ने बताया कि फसल अवशेष जलाये जाने से हो रहे प्रदूषण की रोकथाम के लिए निम्न व्यवस्था की गई है.  इसलिए कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ यथासंभव  सुपर एसएमएस का प्रयोग किया जाये. जिससे पराली प्रबन्धन कटाई के समय ही हो जाये, इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि सुपर एसएमएस के विकल्प के रूप में अन्य फसल अवशेष प्रबंधन के यंत्र जैसे स्ट्रा रीपर, स्ट्रा रेक, बेलर व मलचर, पैडी स्ट्रा चाँपर, श्रव मास्टर, रोटरी स्लेशर, रिर्वसेबुल एमबी प्लाऊ का भी प्रयोग कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ किया जा सकता है, जिससे खेत में फसल अवशेष बंडल बनाकर अन्य उपयोग में लाया जा सकें अथवा काट कर मिट्टी में मिलाया जा सके. ताकि पराली से संबंधित समस्या उत्पन्न ना हो.

इन बातों का रखें विशेष ध्यान 

उप कृषि निदेशक के अनुसार कम्बाईन स्वामी द्वारा बिना फसल अवशेष प्रबन्धन के यथा यन्त्रों एसएमएस, स्ट्रा रीपर, एंव स्ट्रा रेक, आदि का उपयोग किये बिना प्रयोग किया जाता है तो उस पर नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी. यहीं नहीं यदि कोई किसान बिना पराली को हटाये रबी की बुवाई के समय जीरो ट्रिल सीड कम फर्टीलाइजर ड्रिल, हैप्पी सीडर या सुपर सीडर का प्रयोग कर सीधे बुवाई करना चाहता है या फिर डिकम्पोजर का प्रयोग कर पराली का प्रबन्धन करना चाहता है. तो ऐसे किसान अनिवार्य रूप से इस आशय का घोषणापत्र सम्बन्धित उपसम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी को देेंगे कि उसके द्वारा पराली नहीं जलायी जायेगी. रबी की बुवाई के समय उक्त यन्त्रों/डीकम्पोजर का प्रयोग किया जायेगा.

बताते चलें कि फसल अवशेष जलाने से रोकथाम के लिए जनपद, तहसील, विकासखण्ड एवं ग्राम स्तर पर समितियों का गठन किया जा चुका है. जिनके द्वारा सतत निगरानी की जा रही है, उप कषि निदेशक ने बताया कि पराली जलने की घटनाओं की मॉनीटरिंग भारत सरकार द्वारा सेटेलाईट के माध्यम से होती है. ऐसे में पराली से संबंधित प्रत्येक घटना को केंद्रित करते हुए इसकी रिपोर्ट सीधे जिला प्रशासन को भेजी जाती है. इसलिए जो भी इसमें किसान प्रतिभागी पाए जाएंगे.उनके यहां जिलाधिकारी द्वारा गठित उप जिलाधिकारी तथा थाना प्रभारी एंव सम्बन्धित अधिकारियों का सचल दस्ता तत्काल घटना स्थल पर पहुंचेगा. जो शासन के निर्देशों के कम में अर्थदण्ड 02 एकड़ से कम क्षेत्र के लिए 2500 रुपए, प्रति घटना, 02 एकड़ से 05 एकड के लिए 5000 रुपए प्रति घटना एवं 05 एकड से अधिक क्षेत्र के लिए  15000 रुपए प्रति घटना तथा अन्य विधिक कार्यवाही सुनिश्चित करेगा.