अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग-उन के बीच मंगलवार को एक अहम बैठक हो रही है लेकिन इस समीकरण में चीन एक ऐसा पक्ष है जिसके बारे में खुलकर बात नहीं हो रही है. चीन उत्तर कोरिया का एकमात्र और पुराना सहयोगी है. वहीं, अमरीका के लिए चीन उसका सबसे ताक़तवर और लंबे समय से एक रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी है.
ऐसे में अमरीका और उत्तर कोरिया के बीच होने वाली मुलाकात में जो भी नतीजा सामने आता है उसकी सफलता में चीन की भूमिका निर्णायक रहेगी.
ऐसे में आइए उन तीन सवालों पर चर्चा करते हैं जो सिंगापुर में हो रही शानदार बैठक के मंच के पीछे से झांक रहे हैं.
आख़िर चीन चाहता क्या है?
एक शब्द में कहें तो चीन ‘स्थिरता’ चाहता है.
अगर दूसरे शब्दों में कहें तो चीन अपनी सीमा पर परमाणु हथियारों से जुड़ी अस्थिरता बिलकुल भी नहीं चाहता है.
इस बात को ध्यान में रखते हुए भी संवाद और कूटनीति की ओर वापसी ही चीन के लिए एकमात्र विकल्प है.
लेकिन हाल के वर्षों में उत्तरी कोरिया को लेकर चीन का धैर्य भी जवाब देता दिख रहा है.
लेकिन उत्तर कोरिया अभी भी एक पुराना सहयोगी है और अमेरिका अभी भी चीन के लिए एक आम रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी है.
उत्तर कोरिया पर चीन का कितना नियंत्रण है?
उत्तर कोरिया पर चीन एक हद तक नियंत्रण करता है. उत्तर कोरिया अपने विदेशी व्यापार के ९० फीसदी हिस्से को चीन के साथ करता है!